प्रभु चरणों की सेवा ही लक्ष्य हो:संत अचलानंद
चुनार (मीरजापुर) : संसार में मात्र भोग विलास ही प्रमुख नहीं है। सारे वैभव देहावसान के साथ यहीं रह जाएंगे। केवल प्रभु चरणों में प्रेम रखने वाले का जीवन ही धन्य होता है। मानस में कुल 18 भक्त हैं जो प्रभु चरणों की सेवा की कामना रखते हैं। इनमें हनुमान, भरत, अहिल्या, लक्ष्मण, सीता, वानर, भालू, जटायु आदि प्रमुख हैं लेकिन केवट का चरण प्रेम इन सबसे ऊपर है। उसके हठ के आगे प्रभु की भी नहीं चली। वह बिना दोनों चरणों को धोए प्रभु को नाव में ही नहीं बैठाता।
यह कथन है कथा मर्मज्ञ संत अचलानंद जी के। वे मंगलवार को रामघाट स्थित श्रीरामनाम महायज्ञ स्थल पर श्रीराम कथा का रसपान करा रहे थे। केवट को केवल चरणामृत चाहिए। जिस प्रभु को समझने में शेष, महेश, गणेश भी असमर्थ हैं उस प्रभु को केवट ने पल भर में समझ लिया।
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