अब अफसर जाएंगे किसानों के द्वार: सुरेश राणा
मेरठ : गन्ना विकास एवं चीनी मिल राज्यमंत्री सुरेश राणा ने कहा कि समस्याओं को लेकर अब गन्ना किसान अफस
मेरठ : गन्ना विकास एवं चीनी मिल राज्यमंत्री सुरेश राणा ने कहा कि समस्याओं को लेकर अब गन्ना किसान अफसरों के दर पर नहीं जाएंगे, बल्कि अफसर किसानों के द्वार पर जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। आयुक्त से लेकर जिला गन्ना अधिकारी तक सप्ताह में एक दिन भ्रमण करेंगे। किसान टोल फ्री नंबर पर अपने खेत से ही समस्या बताएगा और 24 घंटे के भीतर उसका समाधान होगा। कहा कि चीनी निगम की मोहिउद्दीनपुर मिल आगामी पेराई सत्र में दोगुनी क्षमता के साथ चलेगी। 50 मुख्यमंत्री आगामी सत्र में इसका उद्घाटन करेंगे।
शुक्रवार को सर्किट हाउस में विभागीय अफसरों की समीक्षा बैठक तथा उससे पहले पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि 23 मार्च से एक महीने में 5000 करोड़ का ऐतिहासिक गन्ना भुगतान भुगतान सरकार ने कराया है। भुगतान 83 फीसदी हो गया है। कुल 116 में से 25 मिलों पर बकाया शून्य है। 56 मिलें 14 दिन के भीतर भुगतान कर रही हैं, लेकिन सरकार इससे खुश नहीं है। चीनी मिलों को 14 दिन में भुगतान करना ही होगा। अब मिलें 15 फीसदी ब्याज की राशि के साथ भुगतान करेंगी। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों पर बकाया 2016 करोड़ रुपये के ब्याज का मामला हाईकोर्ट में लंबित है, लेकिन सरकार किसानों के साथ है।
उन्होंने कहा कि किसान के खेत और आबादी का फुंका बिजली ट्रांसफार्मर अब 48 घंटे में बदला जा रहा है। गन्ना विभाग के निर्माण अनुभाग में 20-20 वर्षो से जमे अधिकारी अब नहीं टिक सकेंगे। शिकायतों के चलते गत दो वर्ष के निर्माण कार्यो की फोटो समेत पूरी डिटेल तलब की गई है। डीसीओ इन कार्यो का भौतिक सत्यापन करके रिपोर्ट भेजेंगे। गड़बड़ी के जिम्मेदार वे भी होंगे। आरोप लगाया कि निगम की 21 चीनी मिलों की बिक्री के बसपा के घोटाले को सपा ने भी पांच साल तक छिपाया। अब इसकी गंभीरता से जांच कराई जा रही है। भ्रष्टाचारियों पर जल्द कार्रवाई होगी।
वेस्ट में खुलेगी फूड प्रोसेसिंग यूनिट
गन्ना राज्यमंत्री ने कहा कि योगी सरकार औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए नई नीति बना चुकी है। कृषि क्षेत्र में निवेश की नई संभावनाएं बनेंगी। वेस्ट यूपी में फूड प्रोसेसिंग इकाई खोलने की योजना है। कहा कि हापुड़ से लेकर मेरठ एवं सहारनपुर के बीच बड़े भूभाग में आलू, गन्ना और आम की पैदावार होती है, किंतु रखरखाव के अभाव में 30-40 फीसद फल खराब हो जाते हैं। फूड प्रोसेसिंग यूनिट होने से किसानों के पास नकदी कमाने के नए विकल्प होंगे। सॉस, सिरका, पापड़, जूस, आचार समेत कई तरह के उत्पाद बन सकेंगे। कहा कि फूड प्रोसेसिंग यूनिटों ने दिलचस्पी दिखाई है।