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जिटौली रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण में गंभीर लापरवाही

ओम बाजपेयी, मोदीपुरम एनएच-58 पर बने जिटौली रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण में बरती गई लापरवाही में रोज

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 02:04 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 02:04 AM (IST)
जिटौली रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण में गंभीर लापरवाही
जिटौली रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण में गंभीर लापरवाही

ओम बाजपेयी, मोदीपुरम

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एनएच-58 पर बने जिटौली रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण में बरती गई लापरवाही में रोज नई परतें उधड़ रही हैं। ब्रिज के गार्डरों को आपस में जोड़ने वाली प्लेट के नट बोल्ट के साथ ही पुल का भार वहन करने वाले बिय¨रग प्लेट के नट बोल्ट भी गायब मिले हैं। ब्रिज के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग के निर्माण में खामी मिलने से रेल मंत्रालय के उच्च अधिकारियों और एनएचएआइ के अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं। रेलवे ब्रिज डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों की टीम तीसरे दिन भी जांच में जुटी रही। वहीं रेलवे ने इस हालत में पुल के मेरठ हरिद्वार रूट पर आवागमन को अभी भी मंजूरी नहीं दी है। पिछले चार दिनों से पुल पर वन-वे ट्रैफिक चल रहा है।

बिय¨रग प्लेट पर टिका होता है ब्रिज का भार

बिय¨रग प्लेट रेलवे ओवरब्रिज का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। लोहे के गार्डरों से बने ब्रिज को बिय¨रग प्लेट पर रखा जाता है। यही प्लेट गार्डरों और उस पर चलने वाले वाहनों का भार वहन करती है। रेलवे ब्रिज डिपार्टमेंट की टीम ने जब मेरठ हरिद्वार लेन के पांच गार्डरों की जांच की तो दो गार्डरों की बिय¨रग प्लेट के नट बोल्ट गायब मिले। एक बिय¨रग प्लेट पर दस में से पांच और दूसरी प्लेट पर तीन नट बोल्ट नहीं लगे थे। हाईवे पर बने पुल के बिय¨रग प्लेट के नट बोल्ट गायब मिलने पर जांच कर रही टीम के होश उड़ गए। ब्रिज डिपार्टमेंट के दिल्ली में बैठे अधिकारियों को सूचना दी गई है। ब्रिज का निर्माण कराने वाले एनएचएआइ के कंसल्टेंट अधिकारी भी मंगलवार को मौके पर पहुंचे।

पुल के गार्डरों संरचना में विकृति

सिक्स लेन के जिटौली रेलवे ओवरब्रिज पर दोनों लेन पर पांच पांच गार्डर हैं। एक गर्डर में तीन ज्वाइंट हैं जिन्हें वे¨ल्डग और नट बोल्टों के सहारे आपस में जोड़ा गया है। 24 मार्च को दो प्लेटों के नट बोल्ट गायब होने के बाद जब रेल विभाग सक्रिय हुआ तो जांच में दस गर्डर में सैकड़ों नट बोल्ट या तो गायब मिले या निर्माण के समय नाम के लिए लगाकर छोड़ दिए गए थे। उन्हें ठीक से कसा भी नहीं गया था। सबसे ज्यादा विकृति मेरठ से हरिद्वार वाले लेन वाले ब्रिज में आइ है। ब्रिज डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों को कई गार्डर में साठ एमएम का फर्क मिला है। यह गर्डर सीधे ना होकर या तो मुड़ गए हैं या टेढ़ापन आ गया है। एनएचएआइ के अधिकारियों के अनुसार अगर निर्माण के समय कोताही की गई तो रेलवे को पूर्व में ही अनुमति ही नहीं देनी चाहिए। चूंकि रेलवे सेफ्टी के मानकों की जांच के बाद पुल पर आवागमन की अनुमति रेल मंत्रालय देता है। निर्माण के समय हुई हीलाहवाली में दोनों विभाग कटघरे में आ रहे हैं।

इन्होंने कहा-

पुल पर पिछले पांच सालों से ट्रैफिक चल रहा है। इसकी जांच और मेंटीनेंस की जिम्मेदारी रेलवे की है। रेल ब्रिज डिपार्टमेंट की जांच रिपोर्ट के बाद जैसा आदेश रेल विभाग देगा उसका पालन किया जाएगा। फिलहाल ट्रैफिक वन वे चल रहा है।

डीके चतुर्वेदी, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ।


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