छोटी सी चिड़िया अंगना में फिर आ जा रे..
जागरण संवाददाता, मेरठ: नन्हीं चिरैया, छोटी सी चिड़िया अंगना में फिर आ जा रे.. समय रहते हम नहीं चेते त
जागरण संवाददाता, मेरठ: नन्हीं चिरैया, छोटी सी चिड़िया अंगना में फिर आ जा रे.. समय रहते हम नहीं चेते तो हमारे घर आंगन में फुदकने वाली गौरैया यूं गायब हो जाएंगी कि हम बस गीत गाते और सुनते रह जाएंगे। सोमवार को विश्व गौरैया संरक्षण दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में गौरैया को संरक्षित करने की कोशिश में जुटे शिक्षकों और छात्रों ने यह चिंता जताई।
एनएएस कालेज में आयोजित संगोष्ठी में कालेज की प्राचार्य डा. सुमनलता गर्ग ने कहा कि यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो गौरैया को बचाना होगा। डा. देवेश चंद्र शर्मा ने चीन में हुई उस घटना का जिक्र किया, जिसमें 1960 में फसल बचाने के लिए चीन ने छह सप्ताह में डेढ़ करोड़ से अधिक गौरैया को मार दिया, नतीजा अगले छह महीने में चीन में महामारी ऐसी फैली की सारी फसल खराब होने लगीं, लोग बीमारी से मरने लगे, जिसके चलते चीन को दोबारा से सोवियत रुस से लाखों गौरैया को आयात करना पड़ा। डा. विवेक त्यागी ने कहा कि गौरैया को मित्र बनाना होगा। क्योंकि ये गौरैया देखने भर में छोटी हैं, पर्यावरण की यह पूरी सुरक्षा करती हैं। इस अवसर पर एमफिल की छात्रा वत्सला शर्मा की ओर से बनाई गई लघु वृत्त चित्रों के माध्यम से मेरी प्यारी चिड़िया रानी फिल्म का प्रदर्शन किया गया। गोष्ठी में डा. देवेश टंडन, डा. स्मिता शर्मा, डा. आरके शर्मा, डा. राजीव, डा. केके कंसल, डा. हेमंत के अलावा छात्र छात्राओं ने भी अपनी बात रखी। संचालन डा. नवीन गुप्ता ने किया।
गौरैया मित्र का फिर से गठन
एनएएस कालेज के शिक्षक डा. देवेश शर्मा और विवेक त्यागी के नेतृत्व में वर्ष 2007 से गौरैया संरक्षण पर काम किया जा रहा है। उन्होंने लकड़ी के 300 गौरैया घर बनाकर लोगों को उपहार स्वरूप बांटे, साथ ही गौरैया के संरक्षण के लिए गौरैया मित्र का गठन किया। सोमवार को गौरैया मित्र कार्यकारिणी का दोबारा से गठन किया गया।