महापौर-नगर आयुक्त में फिर ठनी
मेरठ : महापौर हरिकांत अहलूवालिया और नगर आयुक्त देवेंद्र सिंह कुशवाहा के बीच एक बार फिर ठन गयी है। मं
मेरठ : महापौर हरिकांत अहलूवालिया और नगर आयुक्त देवेंद्र सिंह कुशवाहा के बीच एक बार फिर ठन गयी है। मंगलवार को नगर आयुक्त ने अफसरों संग वार्ता की। वह वार्ता खत्म होने के बाद चलने लगे तो महापौर पहुंचे और पूर्व घोषित बैठक का हवाला देकर बैठक करने को कहा। नगर आयुक्त ने आचार संहिता का हवाला देते हुए बैठक से इंकार कर दिया। गुस्साए महापौर सूरजकुंड स्थित कैंप कार्यालय पहुंचे। व्यथित महापौर ने पत्रकारों के समक्ष नगर आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त को समस्याओं से भागने नहीं दूंगा। उन्होंने जनहित में क्या कार्य किए, इसका जवाब देना होगा। उनके कार्य की समीक्षा की जाएगी। यहां तक कहा कि उन्हें दिखा दूंगा कि महापौर क्या होता है। बोले, नगर आयुक्त मनमानी कर रहे हैं। सोमवार को मैंने पत्र द्वारा मंगलवार को नाला सफाई के मुद्दे पर सुबह 11.30 बजे बैठक को पत्र भेजा। मुझसे पहले ही नगर आयुक्त ने बैठक कर ली। मेरे पहुंचने पर प्रोटोकॉल पूरा नहीं किया, अलबत्ता बैठक करने से भी इंकार कर दिया। वहीं बैठक नहीं करने की सूचना तक नहीं दी।
महापौर ने कहा कि नगर आयुक्त की सीआर (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट), जिला मजिस्ट्रेट के सामने भरूंगा। कहा कि नगर आयुक्त हर काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। अप्रैल 2016 में ईईसीएल कंपनी को एलईडी का ठेका दिया जाना पास हो चुका है। बोर्ड बैठक में भी इसे मंजूरी मिल गयी, लेकिन नगर आयुक्त इसे लटकाए हुए हैं। कूड़ा निस्तारण भी अटका पड़ा है। वह बोले कि रात तीन बजे खड़े होकर नाला सफाई करायी, जबकि नगर आयुक्त कहीं नहीं पहुंचते। महापौर ने कहा कि जनता हमसे जवाब मांगती है। हम भीड़ में फंसे रहते हैं और नगर आयुक्त फोन तक नहीं उठाते। कहा कि प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की जाएंगी।
महापौर की अवहेलना नहीं की
दूसरी ओर नगर आयुक्त देवेंद्र सिंह कुशवाहा ने अपने आवास पर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में महापौर के साथ बैठक करना संहिता का उल्लंघन तो नहीं होगा, इस पर संशय था। जिस कारण उनके साथ बैठक नहीं की। बोले कि मैंने महापौर से कहा कि मैं यह मालूम कर लूं या आप कर लें, स्थिति साफ होने के बाद बैठक करेंगे। ईईसीएल कंपनी का मामला अटके रहने पर कहा कि कंपनी किसी भी तरह की जिम्मेवारी से बच रही है।
हमने जमानत राशि जमा करने, कमिश्नर को आर्बिट्रेटर बनाने की शर्त रखी है। इसे नहीं माना जा रहा। अनुबंध के लिए किसी शर्त को नहीं माना जा रहा तो कैसे अनुबंध कर लें, जवाबदेह कौन होगा। नगर आयुक्त ने कहा कि महापौर की बात मान रहे हैं, उन्हीं के अनुसार सफाई की जा रही है। कहा कि अनायास ही महापौर मामले को अन्यथा ले रहे हैं। उनकी कहीं कोई अवहेलना नहीं की गयी। अगर महापौर को बुरा लगा तो वे क्षमा मांगते हैं।