गणना से ज्यादा तपस्या का विषय है ज्योतिष
जागरण संवाददाता, मेरठ: ज्योतिष विज्ञान संकल्प एवं साधना का विषय है, इसे कंप्यूटर की शाला में कैद नही
जागरण संवाददाता, मेरठ: ज्योतिष विज्ञान संकल्प एवं साधना का विषय है, इसे कंप्यूटर की शाला में कैद नहीं किया जा सकता। फलादेश का मंत्र गणित में नहीं, बल्कि तपस्या में निहित है। इस प्राच्य विद्या को राजनेताओं के दरबार में गिरवी न रखें। व्यक्तिगत कुंडली से ज्यादा देश की कुंडली एवं सामयिक घटनाओं पर ग्रह नक्षत्रों की हलचल के बारे में जानें। जिसमें राष्ट्र एवं जनकल्याण की भावना छुपी हो। द अध्ययन स्कूल में शनिवार को आयोजित ज्योतिष संसद में राज राजेश्वरम ने यह विचार व्यक्त किए।
द अध्ययन स्कूल में शनिवार को देशभर से पहुंचे दो सौ से ज्यादा ज्योतिषयों का समागम हुआ। वेदों के युग की इस विद्या के तमाम गणितीय एवं वैज्ञानिक पहलुओं पर मंथन किया गया। देश, काल एवं वातावरण के मुताबिक ज्योतिष के समक्ष बढ़ती नई चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। राज राजेश्वरम ने कहा कि भारतीय पुरातन विद्या ने सूरज, चांद, ग्रहों एवं धरती की आयु एवं उनकी विशेषताओं के बारे में लाखों वर्ष पहले बता दिया था, जहां नासा के वैज्ञानिक आज भी नहीं पहुंच पाए। हमें अपनी विद्या पर भरोसा कर कंप्यूटर की परिधि से बाहर आना होगा।
अनाड़ियों के हाथ में विद्या
उन्होंने कहा कि आज यह विद्या अनाड़ी हाथों में चली गई है। नई पीढ़ी अध्ययन करते ही भविष्यवाणी शुरू कर देती है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने ज्योतिषियों को परामर्श दिया कि अब वह देश की कुंडली देखें, जिससे आने वाली विपदाओं से बचाया जा सके। कहा कि देश पऱ कुदृष्टि रखने वालों पर मारकेश लगाने का वक्त है। कालसर्प की नकारात्मकता को इन शक्तियों की तरफ मोड़ देना चाहिए।
मोदी की कुंडली में अच्छा समय
हरिद्वार के ज्योर्तिविद रमेश शेमवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली इस वक्त बेहतर दौर से गुजर रही है। भारत विश्व गुरु बनने की राह पर है। धनु राशि पर शनि के जाते ही देश नई दिशा में बढ़ गया है। संबोधन में कहा कि देश की आजादी 15 अगस्त को मध्यरात्रि में की गई, जो ज्योतिष की द़ृष्टि से प्रतिकूल वक्त था। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया, तब भी लगन में राहु था, ऐसे में देश में विवाद हमेशा बने रहेंगे। हालांकि दावा किया कि नववर्ष में बृहस्पति, बुध एवं बली बनकर उभरेंगे, ऐसे में देश में आर्थिक क्रांति आएगी। नववर्ष में मंगल राजा, जबकि बृहस्पति मंत्री की भूमिका में देश को नई ताकत देंगे। इससे पड़ोसी देश चीन भी परेशान होगा। हालांकि 27 जनवरी से 30 मई तक समसप्तक योग लगा है, जिसमें सरकार तमाम परेशानियों से भी गुजरेगी। प्रसिद्ध हस्तरेखा विशेषज्ञ पंडित लेखराज शर्मा ने ज्योतिष को प्राचीन विद्या बताते हुए साफ किया कि ऋषि मनीषियों की गणित एवं भविष्यवाणियों के आगे अब तक नासा की भी टीम नहीं पहुंची। पंडित सुरेश एवं अरुण बंसल ने जहां ज्योतिष की तमाम बारीकियों को नई ताकत दी। वास्तुशास्त्री डा. संजीव अग्रवाल ने ज्योतिषविद्या एवं वास्तुशास्त्री के बीच के संबंध को विस्तार से पेश किया। पंडित ललित पंत ने विद्या ज्योतिष पर व्याख्यान देते हुए नई जानकारियां दीं।
आजादी की रात ठीक नहीं था मुहुर्त
गुजरात से आए मोहनभाई पटेल ने कहा कि देश की आजादी की रात्रि का मुहूर्त अच्छा नहीं था, जिसका खमिजयाना देश अब तक भुगत रहा है। ज्योतिष मनीषियों के मंच पर संबोधन से पहले द अध्ययन स्कूल के प्रेक्षागृह में राजराजेश्वरम, आइजी मेरठ जोन अजय आनंद, एवं आइएएस अभिषेक प्रकाश व स्कूल के निदेशक संजय अग्रवाल समेत कई अन्य शामिल हुए। दो दिनी आयोजन में पहले दिन एक यज्ञ का अनुष्ठान भी संपन्न किया गया।