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हर रोज हथेली पर होती है नौनिहालों की जान

मेरठ: हर रोज नौनिहालों की जान हथेली पर होती है। स्कूल बसों, ऑटो रिक्शा या पूल कारों में बैठने वाले ब

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 11:22 AM (IST)
हर रोज हथेली पर होती है नौनिहालों की जान
हर रोज हथेली पर होती है नौनिहालों की जान

मेरठ: हर रोज नौनिहालों की जान हथेली पर होती है। स्कूल बसों, ऑटो रिक्शा या पूल कारों में बैठने वाले बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर हैं। गुरुवार को एटा में हुई दर्दनाक दुर्घटना ने एक बार फिर अभिभावकों की पेशानी पर बल ला दिया है। सवाल है कि यहां के तंत्र की भी तंद्रा कब टूटेगी। हादसा ही कुछ ऐसा था कि उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। अचानक मेरठ के यातायात विभाग को भी नियमों और खासकर अपने कर्तव्यों की याद आ गई। एसपी ट्रैफिक स्वयं रास्ते पर उतरीं और वाहनों की जांच-पड़ताल शुरू कराई। लेकिन इतने भर से काम शायद नहीं चलने वाला।

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नहीं होती वाहनों

की नियमित जांच

शहर के तमाम पब्लिक स्कूलों में बसों की सुविधा है। कुछ बड़े स्कूलों के प्रबंधन ने अपनी खुद की बसें खरीदी हैं लेकिन, अधिकतर स्कूलों में चलने वाली बसें ठेकेदारों द्वारा मुहैया कराई जाती हैं। ठेकेदारों की बसें एक से अधिक स्कूलों में भी चलती हैं। इन बसों को आरटीओ से एक बार परमिट लेनी पड़ती है। साल में एक बार इन वाहनों का परिवहन विभाग परीक्षण करता है। परीक्षण के लिए जो वाहन नहीं जाते, उनकी धरपकड़ की जिम्मेदारी भी परिवहन व ट्रैफिक विभाग की है। लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता। शहर में करीब 209 प्रतिशत वाहन बिना परमिट अवैध रूप से चल रहे हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।

स्कूल के नाम पर लेते हैं छूट

स्कूलों में बसें मुहैया कराने वाले ठेकेदार आरटीओ से स्कूल के नाम पर करों में छूट लेते हैं। वहीं स्कूलों में बच्चों से बसों की फीस भी ली जाती है। स्कूल, बसों का शुल्क स्वयं वहन नहीं करता है। इन बसों में कुछ तो पीले रंग की होती हैं लेकिन, कई बसें सामान्य डग्गामार ही होती हैं। वे बसें भी स्कूलों में बच्चों को लाने व ले जाने में इस्तेमाल होती हैं। ये बसें अन्य समय में शहर के विभिन्न रूटों पर चलती हैं।

स्कूल बस परमिट की शर्ते

-बस का रंग सुनहरा पीला हो, दोनों ओर और बीच में चार इंच मोटी नीली पट्टी हो।

-स्कूल में आगे-पीछे के दरवाजों के अलावा दो इमरजेंसी गेट हों।

-आगे-पीछे स्कूल वाहन व ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना जरूरी।

-सीटों के नीचे बैग रखने की व्यवस्था हो।

-खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी होनी चाहिए।

-वाहनों में स्पीड अलार्म हो ताकि अधिक स्पीड होने पर पता चल सके।

-एलपीजी वाहनों में अग्नि शमन यंत्र की व्यवस्था हो।

-बस चालक का अनुभव न्यूनतम पांच साल होना चाहिए।

-मोटर वाहन नियम संख्या 17 के तहत एक प्रशिक्षित हेल्पर जरूरी।

-स्कूल बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स की व्यवस्था हो।

-स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा होना जरूरी है।

परिजन संगठन ने व्यक्त की संवेदना

ऑल स्कूल पैंरेंट्स एसोसिएशन इंडिया ने एटा में हुई दुर्घटना के लिए संवेदना व्यक्त की है। मृतक बच्चों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना व जख्मी बच्चों को जल्द स्वस्थ होने की कामना की। परिजनों ने मांग की है कि प्रशासनिक आदेशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। संगठन ने इस घटना में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

आज मंडल के शिक्षक

मनाएंगे शोक

एटा की घटना के मद्देनजर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से शुक्रवार को मंडल के सभी जिलों में शिक्षक स्कूलों में शोक व्यक्त करेंगे। सभी शिक्षक इंटरवल के बाद अपनी-अपनी कक्षाओं में पहुंचकर बच्चों के साथ शोक व्यक्त करते हुए बच्चों की आत्मशांति के लिए प्रार्थना करेंगे। इस बाबत गुरुवार को वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश शर्मा के घर हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।


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