आरक्षी भर्ती में फर्जीवाड़ा, 100 से ज्यादा डिग्रियां फर्जी मिलीं
मेरठ : पुलिस में आरक्षी एवं आरक्षी पीएसी की सीधी भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। अभिलेखों की स
मेरठ : पुलिस में आरक्षी एवं आरक्षी पीएसी की सीधी भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। अभिलेखों की समीक्षा और शारीरिक मानक परीक्षा के दौरान इसका पर्दाफाश हुआ, जिसमें सामने आया कि सौ से भी ज्यादा अभ्यर्थियों ने रोहट रोड के एक कालेज से मध्य प्रदेश के ग्वालियर की फर्जी डिग्री लेकर आवेदन किया हुआ था। डिग्री में अभ्यर्थियों के अंक भी नब्बे फीसदी तक दिए हुए है। उसी आधार पर पुलिस भर्ती चयन प्रक्रिया की कमेटी को शक हुआ, जिसके आधार पर सभी फर्जी डिग्री धारकों को भर्ती प्रक्रिया से निकाल दिया है।
उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड स्तर पर पुरुषों एवं महिला आरक्षी एवं आरक्षी पीएसी भर्ती 2015 के लिए अभिलेखों की समीक्षा और शारीरिक मानक परीक्षा कराने के लिए प्रदेश में आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, गोंडा, झांसी, कानपुर नगर, मुरादाबाद, मिर्जापुर, मेरठ, सहारनपुर, सुलतानपुर और वाराणसी में सेंटर थे। मेरठ में पहली पारी में 2100 अभ्यर्थियों की 08 अगस्त से 31 अगस्त तक परीक्षा कराई। उसके बाद दूसरी पारी में 19 सितंबर से 27 सितंबर पर परीक्षा कराई गई, जिसमें 8706 अभ्यर्थियों ने भाग लिया, यह अभ्यर्थी लो मेरिट वाले है। भर्ती टीम के सदस्य इंस्पेक्टर जोगेंद्र काजला ने बताया कि फिजीकल में उत्तीर्ण होकर अभिलेखों की समीक्षा के लिए आए सौ से ज्यादा अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से निकाल दिया है, ये अभ्यर्थी फर्जी डिग्री के आधार पर आवेदन किए हुए थे। डिग्री की पड़ताल की गई, तो मध्य प्रदेश बोर्ड के ग्वालियर से डिग्री जारी हुई थी, जिन अभ्यर्थियों ने डिग्री जारी कराई वो मेरठ और बरेली जोन से जुड़े हुए है।
ऐसे हुआ खुलासा : अभ्यर्थियों के नंबर 80 से 90 फीसदी थे, वो सभी डिग्री मध्य भारत ग्वालियर बोर्ड की है, जो ग्वालियर से जारी की हुई थी। ऐसे में पुलिस को शक हुआ। अभ्यर्थियों को बुलाकर जेल भेजने की बात कही, जिस पर अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्होंने फर्जी डिग्री रोहटा रोड के एक कालेज से ली है, जिनकी कीमत दस से बीस हजार रुपये तक चुकाई गई है। ऐसे में सभी डिग्री धारकों को भर्ती प्रक्रिया से निकाल दिया गया।
फर्जी डिग्री पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई? भर्ती प्रक्रिया में लगी टीम ने फर्जी डिग्री जारी करने वाले कालेज पर कार्रवाई क्यों नहीं की? अभ्यर्थियों को चुपके से क्यों छोड़ दिया? जबकि अभ्यर्थियों की संख्या सौ से ज्यादा थी। ऐसे में अभ्यर्थियों को डिग्री जारी करने वाले कालेज पर कार्रवाई होती तो बड़ा खुलासा हो सकता था।