Move to Jagran APP

रण भूमि में दुश्मन पर आग बरसाते हैं ये गनर

अमित तिवारी, मेरठ : रणभूमि में दुश्मन को खाक में मिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय सेना क

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 01:30 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 01:30 AM (IST)
रण भूमि में दुश्मन पर आग बरसाते हैं ये गनर

अमित तिवारी, मेरठ :

loksabha election banner

रणभूमि में दुश्मन को खाक में मिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय सेना के दूसरे सबसे मजबूत हाथ आर्टीलरी ब्रिगेड ने गठन के 188 गौरवपूर्ण वर्ष पूरे कर लिए हैं। 'सर्वत्र इज्जत-ओ-इकबाल' का परचम लहराने वाली सेना की इस टुकड़ी के योगदान को सलाम करने और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रति वर्ष 28 सितंबर को गनर्स डे मनाया जाता है।

1827 में हुआ गठन

अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 28 सितंबर 1827 को बांबे आर्मी के अंतर्गत पहली बार रॉयल इंडियन आर्टीलरी का गठन हुआ। बाद में इसका नाम 5 माउंटेन बैट्री पड़ा। इस आर्टी बैट्री ने साल 1839 से 1842 के दौरान प्रथम इंडो-अफगान युद्ध में हिस्सा लिया। इसमें शामिल होने वाले पहले तीन भारतीयों में पीएस ज्ञानी, पीएस खाला और पीपी कुमारमंगलम शामिल थे। प्रथम विश्व युद्ध में आर्टीलरी ने मेसोपटामिया, पर्सिया, न्यांगू, नुरुंगोंबे और पेलेस्टाइन में युद्ध लड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध में नॉर्थ अमेरिका, इटली, मलाया और बर्मा में अपनी वीरता दिखाई। 15 अप्रैल 1935 को पहली फील्ड ब्रिगेड का गठन हुआ। 1942 में पहली इंडियन फील्ड रेजिमेंट का गठन किया गया। इसी वर्ष 26 मई को बीर हकीम के युद्ध में इंडियन फील्ड रेजिमेंट को अविश्वसनीय वीरता प्रदर्शन के लिए 17 वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया। 1944 में 15 व 16 दिसंबर की रात कालाडांग्विन में जापानी सेना को धूल चटाने वाले शहीद हवलदार उमराव सिंह को विक्टोरिया क्रॉस के सम्मान से नवाजा गया था।

आर्टी के नाम पहली क्रांति

1857 में 10 मई को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी का बिगुल बजाने वाले बंगाल आर्टीलरी के जवान थे। उन्होंने ही जगह-जगह जाकर लोगों को जोड़ा व क्रांति धरा मेरठ से आजादी की जंग छेड़ी थी। आजादी के लिए लड़ने वाले आर्टी लड़ाकों के खिलाफ अंग्रेजों ने अपनी आर्टी रेजिमेंट का इस्तेमाल किया था।

आजादी से कारगिल तक दुश्मन हुआ खाक

1947-48 में जम्मू-कश्मीर में पाक सेना को भगाने के लिए आर्टीलरी ने जमकर गोलीबारी की थी। उसके बाद सन 62 में इंडो-चीन, सन् 65 में इंडो-पाक के युद्ध में असल उत्तर, हाजीपीर, संजोई मीरपुर, खेमकरन आदि में दुश्मन की कमर तोड़ी। 1971 की लड़ाई में सीमा पर तैनात छह आर्मी कमांडरों में से चार गनर थे। बांग्लादेश में 49 बैट्री के 17 पैरा फील्ड रेजिमेंट को टंगाइल के पूंगली ब्रिज पैरा ड्रॉप करने के साथ ही युद्ध को समाप्त मान लिया गया था। सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत, वर्ष 1986 में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन और वर्ष 1999 में ऑपरेशन विजय कारगिल में पर्वत की चोटियों पर आग बरसाया और दुश्मन को अपनी जमी से उखाड़ फेकने में अहम योगदान दिया। 10 जनवरी 1984 को एयर डिफेंस कोर और एक नवंबर 1986 को आर्मी एविएशन कोर के गठन के साथ ही आर्टी के हाथ और मजबूत हुए।

मिले 1275 सम्मान

आर्टी ब्रिगेड को एक विक्टोरिया क्रॉस, एक अशोक चक्र, 101 वीर चक्र, 9 कीर्ति चक्र, 63 शौर्य चक्र सहित आजादी के पहले और आजादी के बाद से अब तक कुल 1275 सम्मान मिल चुके हैं।

आर्टीलरी के सबसे खतरनाक हथियार

-एफवी 433 ऐबट एसपीजी

-पिनाका एमबीआरएल

-2एसआइ ग्वोज्डिका

-स्प्रुट एंटी टैंक गन

-88 एम25 पाउंडर

-180 एमएम गन एस-23

-155 एमएम फील्ड हैविट्जर 77बी

नहीं मनाएंगे जश्न

आर्टी ब्रिगेड की ओर से इस वर्ष बड़े कार्यक्रम की योजना थी लेकिन उड़ी में सैन्य कैंप पर हुए हमले के बाद इस कार्यक्रम को रद कर दिया गया है। अब बुधवार को आर्टीलरी की ओर से शहीदों को श्रद्धंजलि कार्यक्रम ही आयोजित होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.