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व्यापार राजनीति में उखड़ गया भगवा तंबू

संतोष शुक्ल, मेरठ : व्यापार संघ के सियासी बुखार से जूझ रही भाजपा की नस-नस में दर्द है। चुनावी रिज

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 01:29 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 01:29 AM (IST)
व्यापार राजनीति में उखड़ गया भगवा तंबू

संतोष शुक्ल, मेरठ :

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व्यापार संघ के सियासी बुखार से जूझ रही भाजपा की नस-नस में दर्द है। चुनावी रिजल्ट के बाद पार्टी को दौरे भी पड़ने लगे हैं। पार्टी के तमाम दिग्गजों की साख को लकवा मार गया है। चुनावी झंझावात में पार्टी का तंबू उखड़ गया। पार्टी के रणनीतिकार कयास लगा रहे हैं कि यह सियासी सुनामी विधानसभा चुनावों तक भाजपा को झकझोरती रहेगी, या पार्टी आपदा प्रबंधन के सभी घोड़े खोल देगी।

हिल गए कैंट के दिग्गज

संभव है कि भाजपा और व्यापारी फिर से एक हो जाएंगे, किंतु निजी रंजिशों की आंच विधानसभा चुनावों तक टिकी रहेगी। कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल की व्यापारी सियासत पर पकड़ ढीली हुई है। इससे पहले छावनी की रामलीला में भी उनके परिवार का दबदबा खत्म माना गया, जब ढाई दशक में पहली बार वह रामलीला के पोस्टरों में नजर नहीं आए। उनके भाई बिजेन्द्र अग्रवाल से जैसे कोई बड़ी सियासी चूक हो गई है, ऐसा उनका खेमा भी मान रहा है। बिजेन्द्र के लिए भाजपा से आंख मिलाना आसान नहीं होगा, और कैंट की दावेदारी और दस कदम पीछे चली गई। इधर, संघ की नाराजगी के बावजूद महानगर अध्यक्ष करुणेशनंदन गर्ग ने व्यापार संघ के चुनावों को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया, किंतु अकेले नवीन गुप्ता ने भगवा खेमे को बैकफुट पर धकेल दिया।

आसमान से गए, खजूर से भी गिरे

बिजेन्द्र अग्रवाल के पैनल से कमल ठाकुर, दलजीत ंिसंह एवं नीरज मित्तल ने जीत हासिल की, किंतु इसमें भाजपा का नहीं, बल्कि उनकी व्यापारी वोटों पर निजी पकड़ से जीत मिली। परंपरागत वैश्य वर्ग से न होने के बावजूद कमल ठाकुर ने रिकार्ड जीत हासिल की। भाजपा न सिर्फ नवीन गुप्ता को शिकस्त देने में फेल हो गई, बल्कि जिन्हें पार्टी ने नोटिस थमाया वह सब विरोधी पैनल से जीत गए। उमेश शारदा, विजय आनंद, आशू रस्तोगी, तरुण गोयल एवं अमन गुप्ता की जीत ने भाजपा को आइना दिखा दिया। भाजपा महानगर इकाई के प्रवक्ता गजेन्द्र शर्मा भी सियासत के शिकार हो गए, जिन्हें हराने के लिए पार्टी के ही दिग्गजों ने घेरेबंदी की। गजेन्द्र का नाम किसी खेमे से नहीं जुड़ता, और यही खूबी सियासत में कमजोरी मान ली गई।

नवीन सियासत

व्यापार संघ के चुनावों के बाद नवीन गुप्ता को पार्टी की मुख्यधारा में लाने के लिए भाजपाइयों का एक खेमा लाबिंग में जुट गया है। सियासत में माहिर नवीन भले ही तमाम घाटों से होकर लौटे हैं, किंतु अब उनका भाजपाई दिल ज्यादा तेज धड़कने लगा है। कैंट विधानसभा क्षेत्र में उनका दावा और दबदबा दोनों बढ़ेगा। हालांकि संघ को इस सियासी दंगल की तमाम उछलकूद नागवार गुजरी है, जिसका संज्ञान लेना तय है।


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