रोज सैनिकों की लाशों से जिगर हमारे जलते हैं..
मेरठ : शहीद- ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर मंगलवार को ओज और देशभक्ति की कविताएं गूंजीं। पीएल शर्मा स्मा
मेरठ : शहीद- ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर मंगलवार को ओज और देशभक्ति की कविताएं गूंजीं। पीएल शर्मा स्मारक के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपने शब्दों से युवा पीढ़ी में जोश भरा। भगत सिंह के बलिदान से लेकर भारत-पाक के हालत और राजनीति पर कवियों ने शब्द प्रहार किए।
कवि सम्मेलन की शुरूआत सुमनेश सुमन ने वाणी वंदना से की। इसके बाद मंच संभाला ओज के कवि डा. अर्जुन सिसौदिया ने। उनकी पंक्तियां रहीं कि शौर्य सिंधु का विराट ज्वर थे भगत सिंह, जिसमें फिरंगियों की नाव डूब जाती थी। देशभक्ति का जुनून मिला जिसे लोरियों में, सिंहनी का दूध पीए शेर की रवानी थी। रंग दे बंसती चोला गा के फंदा चूम लिया।
अपनी मधुर आवाज में डा. अंजू जैन ने बेटियों, बेटों और जवानों को संदेश देती पंक्तियां पेश कीं। उन्होंने सुनाया कि जिनको पूजा नहीं जीवित उन्हें पितरों में रखते हैं, कोई अनुसरण नहीं करता चरित्रों का। चरित्रों को मूर्ति और चित्रों में जड़ा कर रखते हैं। दिल्ली से आए डा. प्रवीण शुक्ल ने सुनाया कि भगत सिंह तुम इस देश के लिए अपनी जान दे गए, चंद्रशेखर तुम यूं ही अपना बलिदान दे गए। देखो तुम्हारे ख्वाब को इन्होंने शीशे की तरह चटक दिया है, तुम किस देश के लिए फांसी पर लटक गए। इन्होंने तो इस देश को ही फांसी पर लटका दिया है। राजस्थान से आए विनीत चौहान ने सुनाया कि बहुत हो चुका मोदी जी ये मौन आपके खलते हैं, रोज सैनिकों के लाशों से जिगर हमारे जलते हैं, आंतकी हत्यारों को तुम अब थोड़ा तो झटका दो। हरिओम पंवार ने कहा कि ये पाकिस्तानी गालों पर दिल्ली के चाटे होते, गर हमने दो के बदले में बीस के शीश काटे होते। मंच का संचालन पदम श्री सुनील जोगी ने किया। वाणी फाउंडेशन व जेवी ग्रुप आफ एजुकेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पूर्व एमएलसी हरेंद्र अग्रवाल, ओमवीर तोमर, वेद प्रकाश वटुक, दिनेश जैन, श्याम मोहन, अजय प्रेमी, विजय भोला, प्रभात राय सहित अन्य काफी लोग उपस्थित रहे।