कार्यालय है या पीकदान
मेरठ : सरकारी कार्यालयों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। गुटखा, पान खाने के शौकीन कर्मियों की करतूतो
मेरठ : सरकारी कार्यालयों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। गुटखा, पान खाने के शौकीन कर्मियों की करतूतों से दीवारें रंगीन होती हैं तो हो जाएं, उन्हें इसका कतई मलाल नहीं। कार्यालयों में व्यवस्था व माहौल सुधारने की अफसरों की कोशिशें शुरुआत में तो परवान चढ़ती हैं, लेकिन कर्मियों की हठधर्मिता के आगे ये भी नतमस्तक हो जाती है।
कलक्ट्रेट, मेरठ विकास प्राधिकरण, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ही नहीं अनेक ऐसे सरकारी विभाग हैं जहां संभलकर चलना मजबूरी है। एमडीए परिसर में उपाध्यक्ष योगेंद्र यादव के आने के बाद से जगह-जगह पौधे व हरियाली से परिवर्तन दिखा। लेकिन एक बड़े भाग में स्थित जिला पूर्ति कार्यालय, होमगार्ड, रजिस्ट्री आदि कार्यालय के आसपास गंदगी का आलम है। सीढि़यां, दीवारें व कोने पान व गुटखे की पीक से सनी पड़ी हैं। वहीं कलक्ट्रेट में भी स्थानों पर ऐसा ही हाल है। जबकि अफसरों के सख्त आदेश हैं कि कार्यालय को स्वच्छ रखें। ऐसे में का¨रदों की इस करतूत से कार्यालय आने-जाने वाले लोग परेशान होते हैं, लेकिन इन्हें कौन समझाए...