असाध्य बीमारियों को दूर करेगा आयुर्वेद
अमित तिवारी, मेरठ भारतीय सेना की ओर से पहली बार मिलिटरी अस्पतालों में वैकल्पिक चिकित्सा आयुर्वेद
अमित तिवारी, मेरठ
भारतीय सेना की ओर से पहली बार मिलिटरी अस्पतालों में वैकल्पिक चिकित्सा आयुर्वेद के लिए दरवाजे खोले गए हैं। इस पहल से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने के साथ ही इससे जुड़े विशेषज्ञों व चिकित्सकों को भी पारंपरिक चिकित्सा में निहित गुणों को सामने लाने का अवसर मिलेगा।
भारत सरकार के आयुष (आयुर्वेद, योगा एंड नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा एंड होम्योपैथी) मंत्रालय की पेशकश के बाद यह निर्णय लिया गया है। प्राथमिक तौर पर यह चिकित्सा उन बेहद बीमार जवानों, पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों को मिलेगी, जिन्हें सामान्य इलाज से कोई लाभ नहीं पहुंचा है।
परखी जाएगी इनकी गुणवत्ता
पारंपरिक चिकित्सा में गूढ़ बीमारियों का इलाज हमेशा से होता रहा है। हजारों साल पुरानी इस चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट के तहत प्राथमिक तौर पर चार सैन्य अस्पतालों को चयनित किया गया है, जहां आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, यूनानी व होम्योपैथी के विशेषज्ञों की टीम रिसर्च कर रही है। सेना के बेहद बीमार जवानों, पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों को इन विशेषज्ञों के चिकित्सकीय निरीक्षण में उपचार दिया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया सैन्य विशेषज्ञों की निगरानी में हो रही है, जिससे वे भी वैकल्पिक चिकित्सा के असर पर बारीकी से नजर रख सकें।
इन बीमारियों पर होगा शोध
प्राथमिक तौर पर कैंसर के कुछ लक्षण, टीबी, जोड़ों के दर्द और न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर अर्थात दिमाग से संबंधित बीमारी डिमेंसिया का इलाज किया जाएगा। डिमेंसिया में धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त खोने लगती है। एडवांस स्टेट में कुछ पुरानी बातें तो याद रहती हैं, लेकिन तुरंत की घटनाएं मिनटों में ही भूल जाती हैं। इनके सफल इलाज के बाद आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल सर्विसेस (एएफएमएस) के विशेषज्ञों की टीम आयुष से करार कर वैकल्पिक चिकित्सा को आगे बढ़ाएगी।
इसी साल हुई पहल
सैन्य सूत्रों की मानें तो पारंपरिक चिकित्सा पर लोगों का विश्वास फिर से जगाने के लिए यह पहल आयुष मंत्रालय की ओर से की जा रही है। जनवरी महीने में ही आयुष मंत्रालय के सचिव अजीत एम शरन व एएफएमएस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल बीके चोपड़ा ने बयान जारी कर इसकी जानकारी दी थी। सेना की मेडिकल कोर के साथ विचार विमर्श के बाद इसे पूर्ण रूप से लागू करने से पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाने का निर्णय लिया। सेना की मेडिकल कोर के विशेषज्ञों की टीम इससे जुड़ी हुई है।
यहां चल रहा प्रोजेक्ट
- बेस हास्पिटल, दिल्ली कैंट
-मिलिटरी हास्पिटल, जालंधर
-कमांड अस्पताल, चंडीगढ़
-कमांड अस्पताल, पुणे
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मेरठ से दिल्ली होते हैं रेफर
मेरठ व आस-पास के जिलों से बड़ी संख्या में ऐसी बीमारियों से पीड़ित पूर्व सैनिकों को दिल्ली स्थित आर्मी हास्पिटल रिसर्च एंड रेफरल में रेफर किया जाता है। वहां बोझ अधिक बढ़ने के बाद वर्तमान थल सेना अध्यक्ष ने दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में पूर्व सैनिकों के लिए दो सौ बेड की विशेष क्लीनिक की सुविधा शुरू कराई है। पश्चिमी यूपी में करीब एक लाख पंजीकृत पूर्व सैनिक व उनके परिवार हैं, जबकि गैर पंजीकृत सैनिकों की संख्या और अधिक बताई जा रही है। फिलहाल मेरठ व आस-पास के लोगों को सेना के अस्पताल में आयुर्वेदिक उपचार की सुविधा दिल्ली में मिल रही है।
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इनका कहना है..
- यह पहल बहुत अच्छी है। इसका सकारात्मक असर होना चाहिए। आयुर्वेद से सदा ही गंभीर बीमारियों के इलाज होते रहे हैं। पिछले कुछ दशक में लोग इससे भले ही दूर हुए हों, लेकिन विश्वास कायम है। एलोपैथिक दवाएं खा-खा कर शरीर की इम्युनिटी सिस्टम भी खराब हो जाती है। आयुर्वेद व अन्य पारंपरिक दवाओं का नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर हम आशा करते हैं मेरठ छावनी स्थित मिलिटरी अस्पताल में भी आयुर्वेद की सुविधा शुरू होनी चाहिए।
- कर्नल ओंकार सिंह, प्रेसीडेंट, इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग, मेरठ
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कैंट अस्पताल में है यूनानी व होम्योपैथी
मेरठ स्थित कैंट अस्पताल में यूनानी व होम्योपैथी की सुविधा उपलब्ध है। यहां यूनानी का क्लीनिकल रिसर्च यूनिट चलता है। इसमें रिसर्च के साथ ही लोगों को उपचार व औषधि भी मुहैया कराई जाती है। मेरठ में यह चिकित्सा साल 1989 में जली कोठी में शुरू हुई थी। पिछले दो सालों से कैंट अस्पताल में इसे चलाया जा रहा है। हालांकि यह सैन्य प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है। यहां सभी को यूनानी चिकित्सा का लाभ मिलता है। साथ ही होम्योपैथी दवाएं व चिकित्सक भी उपलब्ध हैं।