शासन को बताएंगे नाला सफाई का झूठ : नंद किशोर
मेरठ : उ.प्र. सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य नंदकिशोर वाल्मीकि ने कहा कि मेरठ में वर्ष 2005 में संविदा
मेरठ : उ.प्र. सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य नंदकिशोर वाल्मीकि ने कहा कि मेरठ में वर्ष 2005 में संविदा सफाई कर्मचारियों की भर्ती का विरोध करने की गलती मेरठ का वाल्मीकि समाज भुगत रहा है। उस समय भर्ती हुए लोगों को आज 16 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। वर्तमान में घोषित 40 हजार संविदा कर्मियों की भर्ती में आरक्षण समाप्त करके केवल वाल्मीकि समाज की ही भर्ती करने की मांग को शासन तक पहुंचाया जाएगा।
सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य नंद किशोर वाल्मीकि बुधवार दोपहर में अचानक मेरठ पहुंचे। सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 40 हजार संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती निकाली है। इन भर्तियों में केवल वाल्मीकि समाज के लोगों को नियुक्त करने की मांग की जा रही है, जिसे शासन तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने संविदा कर्मियों को 20 दिन का आकस्मिक अवकाश तथा महिला कर्मियों को 6 महीने का प्रसूति अवकाश दिया है। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन ने शहर के नालों की तलीझाड़ सफाई का दावा किया है, लेकिन शहर में नाले अटे हैं। इस सच्चाई की रिपोर्ट शासन को दी जाएगी।
मेरठ में सिर पर ढोया जा रहा मैला
समाज कल्याण विभाग से आए अधिकारी ने बताया कि स्वच्छकार विमुक्त योजना के तहत किए गए सर्वे में माछरा में 62 तथा खरखौदा ब्लाक में 55 लोग सिर पर मैला ढ़ोते पाए गए। इनमें से 112 लोगों को 40 हजार रुपये का अनुदान दिया गया है तथा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इनके दो से 15 लाख तक के ऋण के आवेदन बैंक में भेजे गए हैं। इन्हें 50 हजार से 3.25 लाख तक की सब्सिडी राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम द्वारा दी जाएगी।
न अफसर मिले न समाज के नेता
कांवड़ मार्गो की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण तथा समीक्षा करने आए आयोग सदस्य के पास घंटों तक निगम का कोई अफसर नहीं पहुंचा। कार्यवाहक नगर स्वास्थ्य अधिकारी, इक्का दुक्का इंस्पेक्टर और सुपरवाइजर ने वहां पहुंचकर औपचारिकता पूरी की। वाल्मीकि समाज के नेता भी सदस्य से मिलने नहीं पहुंचे। आखिरकार आयोग सदस्य एक सप्ताह बाद फिर से आने की घोषणा करके लौट गए।