यूनिसेफ की नजर में सबसे सेहतमंद बचपन मेरठ का
मेरठ: स्वास्थ्य के तमाम मानकों पर फेल रहा मेरठ नवजातों की सेहत को लेकर प्रदेश में सबसे संजीदा साबित
मेरठ: स्वास्थ्य के तमाम मानकों पर फेल रहा मेरठ नवजातों की सेहत को लेकर प्रदेश में सबसे संजीदा साबित हुआ। यूनिसेफ की रिपोर्ट से साबित हुआ कि मेरठ में 90 फीसद से ज्यादा नवजातों की सटीक निगरानी की गई। आशा वर्करों की सतर्कता से न सिर्फ टीकाकरण सफल रहा, बल्कि लखनऊ समेत तमाम हाई प्रोफाइल जिलों को भी आइना दिखाया।
सुरक्षित हुआ बचपन
नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में भी मेरठ का प्रदर्शन अन्य जिलों से काफी बेहतर है। यूपी में 50 प्रति हजार के सापेक्ष मेरठ में 30 शिशुओं की मौत हो रही है। वेस्ट यूपी में सभी जिलों से ज्यादा नियंत्रण मेरठ ने हासिल किया है, जो भविष्य में स्वस्थ समाज का बड़ा संकेत है।
बाक्स
-भारत में 45 फीसद बच्चों में कुपोषण के लक्षण हैं।
-यूनिसेफ ने प्रदेश के सभी जिलों में 46 दिन सर्वे करते हुए रिपेार्ट तैयार की।
-मेरठ में 92 फीसद नवजातों तक आशा वर्कर पहुंचने में सफल रहीं, जबकि प्रदेश के दर्जनभर जिले दस फीसद नवजातों तक भी नहीं पहुंच सके।
-लखनऊ का स्वास्थ्य विभाग महज 52 फीसद नवजातों तक पहुंचा।
-मेरठ में नवजात शिशु मृत्यु गत दशक में 400 प्रति एक लाख से घटकर अब 190 तक पहुंच गई है।
जिला नवजात शिशु मृत्यु दर
मेरठ 30 प्रति हजार
गाजियाबाद 33,,
गौतमबुद्धनगर 36,,
बागपत 45,,
मुजफ्फरनगर 39,,
सहारनपुर 57,,
नोट: यूपी का औसत 50 प्रति एक हजार है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट काफी उत्साहजनक है। जिले की 1163 आशा कार्यकर्ताओं ने ज्यादातर घरों तक पहुंचकर नवजातों की सेहत का खयाल रखा। शासन ने हाल में समीक्षा बैठक में भी मेरठ की तारीफ की।
डा. आर चंद्रा, सीएमओ, मेरठ
हालांकि गर्भवतियों में एनीमिया का आंकड़ा काफी डरावना है, किंतु नवजातों की स्थिति बेहतर है। डफिरन में ज्यादातर शिशु पौने तीन किलो वजन तक वाले हैं।
डा. साधना सिंह, सीएमएस, डफरिन अस्पताल।