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रोडवेज में सवा करोड़ का एमएसटी घोटाला

संकल्प रघुवंशी, मेरठ रोडवेज में एमएसटी (मासिक पास) बनाए जाने में सवा करोड़ का घोटाला उजागर हुआ है

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 01:23 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 01:23 AM (IST)
रोडवेज में सवा करोड़ का एमएसटी घोटाला

संकल्प रघुवंशी, मेरठ

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रोडवेज में एमएसटी (मासिक पास) बनाए जाने में सवा करोड़ का घोटाला उजागर हुआ है। फर्जी ईमेल-आइडी के जरिए रूट चेंज करके इस खेल को अंजाम दिया जा रहा था। बढ़ते स्मार्ट कार्ड के बावजूद घटते निगम के खजाने की शिकायत पर जांच हुई तो मामला खुला। क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज ने एमडी को पत्र लिखकर साइबर एक्सपर्ट को बुलाया है। निगम को करीब छह महीने में सवा करोड़ की चपत लगी है।

ट्राइमेक्स कंपनी के

का¨रदों की करामात

उत्तर प्रदेश सड़क एवं परिवहन निगम ने रोडवेज में दो साल पहले इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) लागू किया था। इसमें यात्रियों के मासिक पास मैन्युअल न बनकर स्मार्ट कार्ड के तौर पर बनाए जाते हैं। कंपनी के कर्मचारी फर्जी ई-मेल आइडी बनाकर काम को अंजाम दे रहे थे। वहीं यात्री के स्मार्ट कार्ड को रिचार्ज करवाने पर उससे रकम ले ली जाती और रूट चेंज कर एमएसटी बनती थी।

ऐसे किया जाता था खेल

कोई यात्री मेरठ से दिल्ली तक सफर करता है तो उसकी एमएसटी मेरठ-दिल्ली तक न बनाकर मेरठ- मोदीनगर तक बना दी गई। ऐसे ही मेरठ-रुड़की तक की एमएसटी न बनाकर मेरठ खतौली या मेरठ-मुजफ्फरनगर तक बनाई गई।

म रठ डिपो पर पूर्व में 35-38 लाख के मासिक पास बनाए जाते थे। आइटीएमएस के बाद स्मार्ट कार्ड योजना शुरू हुई तो ये घटकर 28-30 लाख हो गए, जबकि अब महज 15-18 लाख के ही पास बन रहे थे। दो साल में किराया बढ़ने के साथ ही यात्रियों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले छह महीने से चल रहे इस खेल में करीब सवा करोड़ रुपए की निगम को आर्थिक हानि आंकी जा रही है।

स्मार्ट कार्ड रीचार्ज कराने पर कर्मी उससे पूरे रूट की रकम ले लेते थे, लेकिन रूट चेंज कर एमएसटी बनाते थे। यात्रियों को इत्मीनान दिलाने के लिए फर्जी रसीद भी दी जाती थी। जब यात्री बस में यात्रा करते तो ईटीएम (इलेक्ट्रानिक टिकटिंग मशीन) इसे रीड नहीं कर पाती। कंडक्टर के कहने पर यात्री रिचार्ज की रसीद दिखाता तो कंडक्टर तकनीकी दिक्कत मान लेते थे।

एडमिन का पासवर्ड भी इस्तेमाल

नियमानुसार ट्राइमेक्स कंपनी सीधे लखनऊ मुख्यालय से सभी सेंटरों पर फोकस करती है। इसमें एडमिन की आइडी और विशेष पासवर्ड से मुख्यालय से पास किया जाता है, लेकिन मेरठ में स्थानीय कार्यालय पर ही कर्मी इसका प्रयोग कर एमएसटी निर्गत कर रहे थे।

एमएसटी का ठेका ट्राइमेक्स कंपनी को दिया हुआ है। मेरठ में बड़े पैमाने पर फर्जी तरीके से एमएसटी बनाई जा रही थीं। एमडी को पत्र लिखकर साइबर एक्सपर्ट व कंपनी अधिकारियों को बुलाया है। प्राथमिक जांच में 15 फरवरी के बाद से इस खेल को अंजाम दिया जा रहा था।

- मनोज पुंडीर, क्षेत्रीय प्रबंधक मेरठ रोडवेज।


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