अब तालाब में नाव चलाने की उमंग
मेरठ: मानसून से पहले तालाब संवरने लगे तो लोगों में नौकायन की उमंग जाग पड़ी। जिले के तकरीबन सभी बड़े ता
मेरठ: मानसून से पहले तालाब संवरने लगे तो लोगों में नौकायन की उमंग जाग पड़ी। जिले के तकरीबन सभी बड़े तालाबों में नाव चलाने की योजना बनाई जा रही है। गांव वालों ने इसे पर्यटन से जोड़ने की ललक दिखाई है। बारिश मेहरबान हुई तो दर्जनों तालाब पर्यटन से जुड़ेंगे।
करीब एक माह से जिले के तमाम तालाबों की सफाई का काम चल रहा है। दर्जनभर से ज्यादा तालाबों का कायाकल्प करने के साथ ही कुल 101 पर काम चल रहा है। इस कड़ी में सोमवार की उमस भरी गर्मी में भी नंगला कार्टर समेत कई तालाबों पर श्रमिकों ने खोदाई की। तालाब की शक्ल देखकर गांव वाले भी फूले नही समा रहे हैं, बस अब इंतजार है तो तालाब में पानी भरने का। ग्रामीणों में तालाबों के प्रति अजीब सा उत्साह देखने को मिल रहा है।
दैनिक जागरण के तालाब खोजो अभियान की शुरुआत हुई तो लोग वक्त के साथ मुहिम से जुड़ते गए। धीरे धीरे अभियान ने गत पकड़ी तो गांव वालों ने भी हाथ उठा लिये और एक साथ जुड़ कर तालाबों पर श्रमदान कर उन्हें नई रवानी देने में पूरा सहयोग दिया। सबसे पहले मवाना खुर्द तालाब पर डीएम पंकज यादव, विधायक प्रभु दयाल, सीडीओ नवनीत चहल, एडीएमई दिनेश चंद, एसपी देहात डा. प्रवीण रंजन, एसडीएम अर¨वद कुमार ¨सह समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रमदान किया तो समाज में यह संदेश दूर तक गया और लोग तालाबों को बचाने के प्रति उठ खडे हुए। ग्राम प्रधानों के अलावा स्कूल कालेज के छात्र-छात्राओं के अलावा, शिक्षक, ग्रामीण युवा, महिलाओं के अलावा सामाजिक संगठन की महिला पुरुष ओर राजनैतिक दल के लोग भी जुड़ते चले गये। देखते ही देखते समाचारीय अभियान धरातल पर उतर आया और पूरी तरह से सफल होता दिखने लगा।
मवाना ब्लाक के 26 गांवों में से करीब छह गांवों के तालाबों की खोदाई और सफाई कराने के बाद यहां पौधरोपण कराया जा चुका है। जबकि फलावदा के भूला श्मशान वाले तालाब पर ग्रामीण युवाओं ने ही पौधरोपण का बीड़ा उठाया और ताल व पौधों को बचाने का संकल्प भी ले डाला। वह तालाबों में नाव चलाने को लेकर काफी उत्साहित हैं।
बुधवार को पिलौना तालाब को भरने की योजना है। सैकड़ों महिलाएं, पुरुष मौके पर पहुंच कर ताल बचाने का संकल्प भी लेंगे। डीएम ने भी कब्जे वाले तालाबों की सूची तलब कर उन्हें खाली कराने के लिए आदेश जारी किये है। अगर अभियान ऐसे ही चलता रहा है और लोग जागरूकता के साथ इससे जुड़कर काम करते रहे है तो वो दिन दूर नही जब अब से तीन खर दशक पूर्व तक गांवों में होने वाले तालाबों की कहानी दोहराई जाएगी।