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मेरठ में फर्जी स्टेरायड दवाओं का रैकेट

संतोष शुक्ल, मेरठ प्रदेश में सबसे ज्यादा नकली दवाओं के लिए बदनाम मेरठ में स्टेरायड भी फर्जी निकला।

By Edited By: Published: Wed, 01 Jun 2016 02:03 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2016 02:03 AM (IST)
मेरठ में फर्जी स्टेरायड दवाओं का रैकेट

संतोष शुक्ल, मेरठ

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प्रदेश में सबसे ज्यादा नकली दवाओं के लिए बदनाम मेरठ में स्टेरायड भी फर्जी निकला। ड्रग माफिया ने मेरठ में नकली स्टेरायड दवाओं की खेप झोंक दी। खैरनगर की दवा मंडी में पकड़ी गई स्टेरायड की जड़ मुरादाबाद निकली। इससे पहले मेरठ में एंटीबायोटिक, पेनकिलर, मल्टीविटामिन के बाद अब स्टेरायड के टेबलेट भी फर्जी पाए गए। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि फर्जी स्टेरायड मरीज की जान तक ले सकती है। विभाग ने मेडिकल स्टोर एवं निर्माता कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी किया है।

मुरादाबाद में निकली जड़

औषधि विभाग ने 16 फरवरी को खैरनगर स्थित लक्ष्मीफार्मा पर छापेमारी कर डेक्सामेथासोन टेबलेट का सैंपल भरा था। इसकी जांच राजकीय लखनऊ जनविश्लेषक प्रयोगशाला में की गई, जहां इसे नकली करार दिया गया। 13 अप्रैल को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस दवा में घटिया मिला था। यह दवा डीके फार्मा मुरादाबाद में बनाई गई थी। ड्रग विभाग ने माना कि इस स्टेरायड का कई बार जीवनरक्षक दवाओं के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे पहले मेरठ में नकली एंटीबायोटिक, प्रोटीन पावडर, बुखार की दवा व पेनकिलर का रैकेट पकड़ा जा चुका है।

एक-तिहाई सैंपल फेल

शासन ने जनवरी 2016 को जारी रिपोर्ट में बताया था कि मेरठ के 98 में से 32 सैंपल फेल पाए गए थे। इसमें एंटीबायोटिक दवा का रैकेट लावड़ से पकड़ा गया, जिसके रैपर पर गुजरात लिखा था। टीम ने गुजरात में ड्रग कंट्रोलर से संपर्क किया तो पता फर्जी निकला। बाद में इसके तार उत्तराखंड से जुड़े, जहां से मेरठ की सीमा सटी होने की वजह से नकली दवाओं की घुसपैठ बढ़ गई। एंटीबायोटिक दवाओं का यह रैकेट बुलंदशहर एवं गांवों तक पकड़ा गया था। गत दिनों मेरठ की एक आयुर्वेदिक कंपनी में खांसी का सिरप बनाया जा रहा था और तमाम बड़ी कंपनियों के बोतल भी मिले थे।

क्या है डेक्सामेथॉसोन

- यह एक स्टेरायड है, जिसे व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया है।

-वर्ष 1957 में बनाई गई, और दुनियाभर में प्रयोग की जाती है।

-हड्डी की बीमारी, एलर्जी, लंग्स, सीओपीडी, अस्थमा, दिमाग में सूजन, व टीबी की बीमारी में एंटीबायोटिक के साथ दी जाती है।

-यह एक सस्ती जीवनरक्षक दवा है। इसे गर्भवती महिलाओं को भी दिया जा सकता है।

-ज्यादा खाने से हड्डी में छेद, दर्द, चक्कर, लीवर, एवं रक्तचाप की बीमारी हो सकती है।

इनका कहना है..

खैरनगर से 16 फरवरी को डेक्सामेथासोन का सैंपल लिया गया था, जो जांच में फेल मिला। अगर मरीज को जीवनरक्षक दवा समझकर फर्जी एस्टेरायड दी जा रही है तो वह जान के लिए भी घातक है। विक्रेता व निर्माता एजेंसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

लवकुश प्रसाद, औषधि निरीक्षक।


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