तनाव से युवा भी बन रहे दिल के रोगी : मलिक
मेरठ : भागमभाग भरी जिंदगी और बदलती जीवनशैली ने युवाओं को भी हृदयरोगी बना दिया है। प्रतियोगिताओं की त
मेरठ : भागमभाग भरी जिंदगी और बदलती जीवनशैली ने युवाओं को भी हृदयरोगी बना दिया है। प्रतियोगिताओं की तैयारी और बढ़ते दबाव के चले 22 से 30 साल के युवा भी हृदयघात का शिकार हो रहे हैं। दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए जागरूकता की कमी सबसे बड़ी समस्या है। बुधवार को मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अमित मलिक ने ये जानकारी दी।
गढ़ रोड स्थित होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि दिल की धड़कन का अचानक तेज होना या नब्ज का अनियमित होना दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम की खराबी का संकेत है, जिसे मेडिकल भाषा में कार्डियक एरीदिमिया कहते हैं। यह जानलेवा हो सकता है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली के कारण हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं, उनमें तनाव इसका मुख्य कारण है।
बताया कि डायबिटिक पेशेंट की सेंसिटिविटी कम हो जाती है, ऐसे में उनमें साइलेंट अटैक की संभावनाएं अधिक होती हैं। बताया कि एरीदिमिया के मुख्य लक्षणों में आंखों के सामने अंधेरा छाना, अचानक बेहोशी आना, तेज धड़कन महसूस होना, नब्ज का बीच-बीच में रुकना, बेचैनी व सांस फूलना है। बताया कि ईसीजी में अक्सर इसका पता नहीं चलता, इसके लिए एडवांस जांच जरूरी है।
डा. अमित मलिक ने बताया कि एडवांस लूप रिकॉर्डर की मदद से रोगी के दिल की धड़कन को एक सप्ताह से लेकर तीन वर्ष तक मॉनीटर किया जा सकता है। यह एरीदिमिया के साइलेंट अटैक को भी पकड़ सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, हृदयरोग विशेषज्ञ से परामर्श व समय पर उपचार से एरीदिमिया से होने वाले खतरों को कम किया जा सकता है।