Move to Jagran APP

-40 डिग्री का हिम स्नान..छू मंतर कर देगा आपकी थकान

संतोष शुक्ल, मेरठ : तनाव भरी लाइफस्टाइल हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या है। 'कूल' रहने के लिए क्या-क

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 01:59 AM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 01:59 AM (IST)
-40 डिग्री का हिम स्नान..छू मंतर कर देगा आपकी थकान

संतोष शुक्ल, मेरठ :

loksabha election banner

तनाव भरी लाइफस्टाइल हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या है। 'कूल' रहने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ता। भाप से स्नान बहुत हुआ। अब बर्फ का भी सहारा लीजिए। क्रायोथेरेपी। मोटे तौर पर आप इसे बर्फ की सिकाई भी कह सकते हैं। दुनिया में खिलाड़ियों की चोटों को ठीक करने से शुरू हुई यह तकनीक अब भारत समेत पूरी दुनिया की फिटनेस और सौंदर्य इंडस्ट्री में लोकप्रिय हो चुकी है। मेरठ में भी एक ऐसी मेडिकेटेड बर्फ की गुफा तैयार की जा रही है जिसमें आप -40 डिग्री के तापमान पर चले जाएंगे। क्रायोथेरेपी के इस चैंबर में फिलहाल जर्मनी की तकनीक इस्तेमाल की जाएगी। दो साल पहले ब्राजील में हुए फुटबाल विश्वकप के दौरान भी इसी तरह के क्रायोचैंबर का इस्तेमाल कई टीमों ने थकान से निपटने के लिए किया था। शरीर से निकल जाएंगे थकान वाले केमिकल

जर्मनी की क्रायोथेरेपी की एक वर्कशाप से लौटे फिजियोथेरेपिस्ट डाक्टर केपी सैनी का कहना है कि मेरठ में पहली स्टेज में -40 डिग्री तापमान पर क्रायोथेरेपी से इलाज शुरू किया जाएगा। डॉक्टर सैनी बताते हैं कि खेलकूद एवं ज्यादा शारीरिक गतिविधियां करने वालों में मांसपेशियों में खिंचाव और ऊतकों में टूट फूट ज्यादा होती है। मांसपेशियां फाइबर की बनी होती हैं, जिसमें लगने वाली छोटी-छोटी चोटे शरीर में लैक्टिक एसिड की मात्रा बढ़ा देती हैं, जिससे बार-बार थकान महसूस होती है। क्रायोथेरेपी खेल में बहुत इस्तेमाल होती है, लेकिन अब मौजूदा जीवनशैली में पूरी दुनिया में क्रायोथेरेपी आम लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो रही है।

है क्या क्रायोथेरेपी

क्रायोथेरेपी दरअसल ग्रीक से निकला शब्द है। क्रायो का अर्थ है सर्द और थेरेपी मतलब इलाज। ¨हदी में इसे बर्फ की सिंकाई भी कहा जा सकता है। पूरे शरीर की क्रायोथेरेपी को आप हिमस्नान भी कह सकते हैं। माना जाता है कि इसका इस्तेमाल जापान से सत्रहवीं सदी में शुरू हुआ। हालांकि तब से अब तक दुनिया में इसकी तकनीक बहुत उन्नत हो चुकी है और डॉक्टरों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम -120 से -160 डिग्री सेल्सियस तक तापमान ले जाती है। थेरेपी में तापमान कम करने की दुनिया में कई तकनीक हैं, लेकिन आमतौर पर तापमान को शून्य से कम करने के लिए द्रव रूप में नाइट्रोजन और कार्बन डाई आक्साइड स्नो का इस्तेमाल किया जाता है।

वजन कम करने के लिए भी हो रही इस्तेमाल

शुरू में इसे मांसपेशियों और हड्डी में चोट के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब पूरी दुनिया में यह फिटनेस और एंटी एजिंग के लिए भी खूब इस्तेमाल हो रही है। सौंदर्य उद्योग भी इसे जमकर अपना रहा है। क्रायोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्राइ आइस शरीर की तैलीय ग्रंथों में जाकर मुंहासे और मस्से जैसी दिक्कतों को कम कर देते हैं। इसके अलावा वजन कम करने के लिए भी इस थेरेपी का इस्तेमाल शरीर के कुछ तय हिस्सों में किया जाता है और मोटापा बढ़ाने वाली कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।

इन हॉलीवुड सितारों ने किया लोकप्रिय

दुनिया में क्रायोथेरेपी को लोकप्रिय बनाने और चर्चा में लाने में कुछ हॉलीवुड सितारों का भी हाथ है। डेमी मूर ,जेनिफर ऑस्टिन, जेसिका एल्बा ने इस थेरेपी को दुनिया में काफी लोकप्रिय बनाया। सिंगर मैडी मूर ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की और थेरेपी के दौरान के फोटो सोशल साइट्स पर शेयर किए।

मेरठ में भविष्य में बनेगा -110 डिग्री का चैंबर

भविष्य में मेरठ में -110 डिग्री की थेरेपी भी शुरू करने की योजना है। इसमें तीन चैंबर होंगे। व्यक्ति को पहले चैंबर में -10 डिग्री, दूसरे चैंबर में -60 डिग्री एवं अंतिम चैंबर में -110 डिग्री वाले कक्ष में दो से तीन मिनट तक रोका जाएगा।

इनका कहना है

खिलाड़ियों में कंधे एवं जांघों की मांसपेशियों के चोटिल होने की घटनाएं सबसे ज्यादा बढ़ी है। मसल्स पर ज्यादा जोर पड़ने से उसमें बनने वाला लैक्टिक एसिड मांसपेशियों को इंजर्ड कर सकता है। इसमें यह थेरेपी बहुत कारगर है। क्रायोथेरेपी की उन्नत तकनीक अब फिटनेस और वजन कम करने के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है।

-डा. अतुल रस्तोगी, हड्डी रोग विशेषज्ञ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.