गंगा-यमुना के दोआब में इन अफसरों की खेती
जागरण संवाददाता, मेरठ : गंगा-यमुना के बीच का यह दोआब न सिर्फ फसलों के लिए उर्वर भूमि है, बल्कि अफसरी
जागरण संवाददाता, मेरठ : गंगा-यमुना के बीच का यह दोआब न सिर्फ फसलों के लिए उर्वर भूमि है, बल्कि अफसरी के लिहाज से भी मेरठ की माटी को बेहद उपजाऊ और अनुकूल माना जाता है। शायद यही वजह है कि जो यहां एक बार आ जाता है, मेरठ से विदा नहीं होना चाहता। जिन अफसरों व कर्मचारियों की पहुंच सत्ता के आकाओं तक है, वे तो इस फलदायी भूमि पर अपना अधिकार ही मान बैठते हैं। कुछ ऐसे भी अधिकारी-कर्मचारी हैं जो किसी पार्टी के न होकर समय के साथ बहने में माहिर होते हैं, यानी सत्ता भले बदल जाए, उनका ठिकाना न बदले। आज की इस कड़ी में हम कुछ ऐसे ही अधिकारियों की तस्वीर उकेर रहे हैं जो सालों से मेरठ में अफसरी झाड़ रहे हैं और मजाल है किसी की जो इन्हें हटा दे।
सुशील यादव : ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) में मौजूदा समय में साहब एक्सईएन के पद पर आसीन हैं। और आज से नहीं 2012 से ही तैनात हैं। कारनामों की बात करें तो कागजों में ऐसी सड़क बन गई, जिसकी समीक्षा में तत्कालीन सीडीओ को मंत्री रामसकल गुर्जर ने नाप दिया, क्योंकि मौके पर सड़क ही नहीं मिली। सीडीओ तो नप गए, लेकिन साहब तब से अब तक बेबाकी से डटे हुए हैं। उनके पास इसके इतर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का भी प्रभार है। इनकी कार्यशैली का अंदाजा इनके अधीन आने वाली सड़कों की सूरत से लगाया जा सकता है।
लक्ष्मणजीत सिंह : वर्तमान में न्यायिक तहसीलदार सरधना हैं। लक्ष्मणजीत सिंह वही नाम है, जिस पर एडीएम की भूमि के दाखिल-खारिज में गड़बड़ी करने, सरकारी भूमि को निजी संपत्ति दिखाने जैसे बड़े आरोप हैं और जांच की जा रही है, लेकिन उन पर भी कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा। वह दबंगई से अब भी डटे हुए हैं। सरकारी विभागों को ही चूना लगाने और करोड़ों के खेल के दलदल में फंसने के बावजूद उन पर तबादले की कोई नीति लागू नहीं होती। अब उनका कार्यकाल लगभग एक दशक का होने वाला है।
रंजीत सिंह : वर्तमान में साहब सरधना के तहसीलदार हैं। रंजीत सिंह का नाता मेरठ से काफी पुराना है। वह 2006 में भी मेरठ में थे। कुछ दिनों के लिए पश्चिम के ही एक जिले में ट्रांसफर पर गए थे, लेकिन फिर लौट आए। साहब का करियर भी मेरठ में ही परवान चढ़ा। वह पहले मेरठ में नायब तहसीलदार थे। यहीं तहसीलदार रहे। लंबे अरसे तक मेरठ तहसील में सेवा दी। वहां से तबादला हुआ तो मुख्यालय से हटकर सरधना पहुंचे, लेकिन मेरठ से कोई नहीं हटा सका।
महेंद्र बहादुर : महेंद्र बहादुर मौजूदा समय में न्यायिक तहसीलदार मेरठ हैं। पूरे प्रदेश की तहसीलों में तबादलों का दौर चला, लेकिन साहब मेरठ में ही कभी मेरठ, कभी मवाना तो कभी सरधना की सैर करते रहे हैं। मवाना का तहसीलदार रहते महेंद्र बहादुर के खिलाफ परीक्षितगढ़ में जमीन के नाम चढ़ाने को लेकर कानूनी कार्रवाई भी हुई। शासन से जांच चल रही है, लेकिन उनका बाल तक बांका नहीं हुआ। वे उसी शान-ओ-शौकत से डटे हुए हैं।
डा. हरपाल सिंह : मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर डा. हरपाल सिंह 2013 के शुरुआत से ही तैनात है। डा. हरपाल का कार्यदायित्व यह है कि वह पशु धन के विकास और उनके संरक्षण आदि के साथ ही इन्हें व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ें। समय के साथ डा. सिंह के कार्यकाल का समय बढ़ता गया, लेकिन रिजल्ट के नाम पर उनके पास बहुत कुछ नहीं है। विकास भवन में भी लगभग हर विभागों के अफसरों की कुर्सी पिछले तीन वर्षो में हिली है, लेकिन डाक्टर साहब गंभीरता से डटे हुए हैं।