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आजकल उत्तेजित हैं बंदर, बचकर रहे जनता

मेरठ : शहर में बंदरों का उत्पात व जनता पर हमले की घटनाएं अचानक चरम पर जा पहुंच गई हैं। पुराने शहर के

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:33 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:33 AM (IST)
आजकल उत्तेजित हैं बंदर, बचकर रहे जनता

मेरठ : शहर में बंदरों का उत्पात व जनता पर हमले की घटनाएं अचानक चरम पर जा पहुंच गई हैं। पुराने शहर के साथ आउटर इलाके भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। बंदरों के अचानक आक्रामक होने से लोग परेशान हैं, जबकि जानकारों की सलाह है कि दो महीने का समय बंदरों के मिलन का समय है। इस अवधि में वे उत्तेजित रहते हैं। उनकी आक्रामकता भी बढ़ी रहती है। लिहाजा शहर की जनता फिलहाल बंदरों से बचकर रहे।

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अचानक शहर में आ पहुंची बंदरों की फौज और गली-गली में फैले आवारा कुत्ते शहर की जनता के लिए मुसीबतें पैदा कर रहे हैं। कुत्ते तो लोगों को दिन और रात गलियों में दौड़ा रहे हैं। वहीं बंदर हमला करके लोगों को घायल कर रहे हैं। बंदरों की संख्या, उनकी आक्रामकता और हमलों की संख्या अचानक बढ़ गई है। इससे शहर में कोहराम मचा है। बंदरों के इस व्यवहार से लोग परेशान हैं। जानकार लोगों की मानें तो बंदरों की आक्रामकता समयानुसार है। नवंबर और दिसंबर दो महीने बंदरों के सहवास का समय है। इससे वे उत्तेजित रहते हैं। बंदरों के समूह का मुखिया आक्रामक रहता है।

बंदर पकड़ने के अभियान के लिए महापौर द्वारा गठित समिति के समन्वयक पार्षद विजय आनंद का कहना है शहर की जनता बंदरों से फिलहाल बचकर रहे। नगर निगम जल्द अभियान चलाकर इन्हें पकड़कर जनता को निजात दिलाएगी।

बच्चे और बूढ़े बन रहे शिकार

नगर निगम के अनुमान के मुताबिक, इस समय शहर में पाच हजार से अधिक बंदर हैं, जिन्होंने पूरे शहर को अपने सिर पर उठा रखा है। इन बंदरों के निशाने पर सबसे ज्यादा बच्चे और बूढ़े होते हैं। कई बार तो बंदरों के हमले से बचने के प्रयास में लोग छत तक से कूद जाते हैं और घायल हो जाते हैं।

हस्तिनापुर से वापस आए, अबकी कोटद्वार

निगम प्रशासन ने बंदरों को पकड़कर हस्तिनापुर के घने जंगल में छोड़ा था, लेकिन फिर से बंदरों की फौज आखिर कहा से आ गई? जाच पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि हस्तिनापुर छोड़े गए बंदर भी वापस शहर में आ पहुंचे हैं। लिहाजा, इस बार बंदरों को पकड़कर कोटद्वार के घने जंगल में छोड़ने की योजना है।

इंसान हुए पिंजड़ों में कैद

शहर के हालात अच्छे नहीं हैं। लोग सहमे हुए हैं। बंदरों से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों को पिंजड़ा बना लिया है और अपनी रक्षा के लिए खुद कैद हो गए हैं। पुराने शहर में गंभीर हालात हैं। यहां लाला का बाजार, पत्थर वालान, वैली बाजार, कबाड़ी बाजार, दाल मंडी, अनाज मंडी, फूटा कुआं, ठठेरवाड़ा, पोदीवाड़ा, स्वामी पाड़ा, बनिया पाड़ा, वीरू कुआं, राजो की कुइयां, गुदड़ी बाजार व सराय लाल दास आदि इलाकों में लोगों ने घर को लोहे के जाल लगवाकर पिंजड़ों में बदल लिया है। यहां बालकनी से लेकर छत तक पर लोगों ने लोहे के जाल लगवा रखे हैं। लोग पिंजड़ों में कैद हैं और बंदर आजाद हैं।

डीएफओ से आज मिलेगी अभियान की अनुमति

नगर निगम प्रशासन बंदर पकड़ने का अभियान चलाने के लिए तैयार है। बस डीएफओ से अनुमति का इंतजार है। निगम की बंदर पकड़ने की समिति के समन्वयक पार्षद विजय आनंद ने संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता, विपुल सिंघल व सरदार दलजीत सिंह आदि के साथ मंगलवार को डीएफओ मनीष मित्तल से मिलकर शहर में बंदरों की गंभीर समस्या की जानकारी देकर अभियान की अनुमति शीघ्र देने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि डीएफओ ने उन्हें गुरुवार को अभियान की अनुमति जारी करने का वादा किया है।

इन्होंने कहा..

बंदर और कुत्तों से जनता को सुरक्षित करने के लिए कोई कसर नगर निगम नहीं छोड़ेगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बंदर पकड़ने का अभियान जल्द शुरू होगा।

हरिकांत अहलूवालिया, महापौर

975 रुपये में होगी एक कुत्ते की नसबंदी

- आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रण को एनीमल केयर सोसायटी ने दिया प्रस्ताव

मेरठ : शहर की जनता को आवारा कुत्तों की फौज दौड़ा रही है। उन्हें पकड़ने की कार्रवाई को पशु क्रूरता बताकर एनीमल केयर सोसायटी के पदाधिकारी अभियान का विरोध करते हैं। सोसायटी ने शहर में आवारा कुत्तों के संख्या नियंत्रण के लिए उनकी नसबंदी का प्रस्ताव दिया है। इसके मुताबिक, यह कार्य सोसायटी खुद करेगी। एक कुत्ते की नसबंदी के लिए 975 रुपये का खर्च सोसायटी ने बताया है। निगम से उसने प्रति कुत्ता 725 रुपये की मांग की है।

सोसायटी के सचिव अंशुमाली वशिष्ठ ने नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी को संबोधित उक्त प्रस्ताव पत्र समिति के समन्वयक पार्षद विजय आनंद को सौंपा है। इसे उन्होंने नगर आयुक्त और महापौर के पास भेज दिया है। प्रस्ताव के मुताबिक, आवारा कुत्तों को नगर निगम व सोसायटी के कर्मचारी मिलकर पकड़ेंगे। उनकी नसबंदी करेंगे तथा वापस वहीं पर छोड़ेंगे, जहां से उन्हें पकड़ा जाएगा। कुत्तों को पकड़ने का कार्य सप्ताह में एक व अधिकतम दो दिन किया जाएगा। नसबंदी प्रक्रिया व भोजन के लिए उन्होंने प्रत्येक कुत्ते का खर्च 975 रुपये बताया है तथा नगर निगम से 725 रुपये प्रत्येक कुत्ते की मांग की है।

नसबंदी प्रक्रिया का खर्च (प्रति कुत्ता)

बेहोशी इंजेक्शन 150 रुपये

कैडगट व अन्य धागे 150 रुपये

आपरेशन व उसके बाद इंजेक्शन 250 रुपये

डॉग फूड 200 रुपये

आपरेशन शुल्क 150 रुपये

एंटी रैबीज टीकाकरण 75 रुपये

कुल 975 रुपये


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