Move to Jagran APP

शौर्याजलि की शान बढ़ाकर लौट आया 'शान-ए-खैबर'

मेरठ : सन् 1965 में भारतीय फौज से पटखनी खाने के बाद भी अपने देशवासियों के समक्ष 'झूठी विजय गाथा' गान

By Edited By: Published: Mon, 05 Oct 2015 01:59 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2015 01:59 AM (IST)
शौर्याजलि की शान बढ़ाकर लौट आया 'शान-ए-खैबर'

मेरठ : सन् 1965 में भारतीय फौज से पटखनी खाने के बाद भी अपने देशवासियों के समक्ष 'झूठी विजय गाथा' गाने वाले पाकिस्तान को भारतीय सेना ने शौर्याजलि के रूप में एक बार फिर करारा जवाब दिया। उस युद्ध में पाकिस्तानी फौज का जब्त किया गया पैटन टैंक (एम-48) लगभग चार दशकों से मॉल रोड के टैंक चौराहे की शोभा बढ़ा रहा है। सेना की ओर से शौर्याजलि में इस टैंक को लोगों के समक्ष ले जाने के लिए अगस्त महीने में दिल्ली ले जाया गया था। करीब एक महीने की प्रदर्शनी के बाद मेरठ का 'शान-ए-खैबर' अपने स्थान पर लौट आया है। सेना ने रविवार दोपहर में पैटन टैंक को उसी स्थान पर रख दिया, जहां से उसे लेकर जाया गया था।

loksabha election banner

देश भर से आए थे उपकरण

लोगों के रुझान व मांग को देखते हुए 27 सितंबर तक चली प्रदर्शनी में सन् 65 के युद्ध में जब्त पाकिस्तानी सेना के तरह-तरह के सैन्य उपकरण रखे गए थे। मेरठ से इस प्रदर्शनी में पैटन टैंक के अलावा माल रोड स्थित व्हाइट हाउस के सामने लगीं दो 75/25 हाउट्जर गन भी भेजी गई थी। इसके साथ ही देश भर में वर्ष 1965 की लड़ाई से संबंधित भारतीय थल सेना, वायु सेना व नौसेना के लड़ाकू विमान, युद्धक विमान, वर्दी, हथियार सहित अन्य सैन्य उपकरण प्रदर्शनी में लगाए गए।

पाक को दिया करारा जवाब

पाकिस्तानी सेना अपने देशवासियों के समक्ष अपनी नाक बचाने के लिए सदा से ही सन् 65 की लड़ाई में अपनी जीत बताते हुए जीत का जश्न मनाती रही है। इस बार युद्ध की 50वीं स्वर्ण जयंती पर भारतीय सेना ने पूरे जोर-शोर से पाकिस्तानी सेना को यह चेता दिया कि जीत भारत की हुई थी, न कि पाकिस्तान की। सेना के इस संदेश पर देशवासियों ने भी बड़ी संख्या में मुहर लगा दी। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले प्रदर्शनी आम लोगों के लिए 15 से 20 सितंबर तक ही थी। लोगों के रुझान को देखते हुए पहले दो दिन बढ़ाई गई फिर पांच दिनों के लिए बढ़ाकर 27 सितंबर कर दिया गया था।

दिलाता है पैटन नगर की याद

उस समय अमेरिका से मिले इस अत्याधुनिक एम-48 पैटन टैंक पर इतराते हुए पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रची थी। नतीजा यह हुआ कि उस युद्ध में खेमकरन इलाके के मेंहदीपुर को पाकिस्तानी पैटन टैंकों का कब्रिस्तान अर्थात 'ग्रेवयार्ड ऑफ पैटन टैंक' कहा जाता है। पैटन नगर के नाम से परिचित उस इलाके में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी पैटन टैंकों के जत्थे को अंदर तो आने दिया लेकिन घेर कर वापस नहीं जाने दिया। टैंक चौराहे से गुजरने वाले हर देशवासी को यह टैंक उस गौरव का एहसास दिलाता है और दिलाता रहेगा, जिस गौरव का एहसास सेना के जवानों को टैंक को नष्ट करने के बाद हुआ होगा।

पैटन टैंक के बारे में यह भी जानें

तैयार हुआ : 1952 से 1959 के बीच

वजन : 49.4 टन (युद्ध के लिए तैयार)

लंबाई : 9.3 मीटर (30 फुट 6 इंच)

चौड़ाई : 3.65 मीटर (12 फुट)

ऊंचाई : 3.1 मीटर (10 फुट 2 इंच)

क्रू मेंबर : 4 (कमांडर, गनर, लोडर व ड्राइवर)

ईधन क्षमता : 200 यूएस गैलन

ऑपरेशनल रेंज : 462 किलोमीटर

स्पीड : 48 किलोमीटर प्रति घंटा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.