पंचायत चुनाव में सपा में अंदरूनी महाभारत
रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ : पंचायत चुनाव सत्ताधारियों के लिए कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का एक जरिया भी
रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ : पंचायत चुनाव सत्ताधारियों के लिए कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का एक जरिया भी होते हैं। इसलिए घमासान भी सत्तारूढ़ दल में ज्यादा होता है। पहले ही कई गुटों में बंटी समाजवादी पार्टी में अब पंचायत चुनाव के लिए बाकायदा 'अपनों' के खिलाफ ही तिकड़मबाजी शुरू हो गई है।
फतेहयाब का बहाना, कहीं और निशाना
जिला पंचायत सदस्यों के लिए चल रहे नामांकनों के बीच शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए खींचतान साफ दिखी। जिला पंचायत अध्यक्ष के एक बड़े दावेदार माने जा रहे नवाजिश शनिवार को जब नामांकन करने पहुंचे तो उनसे चंद मिनट पूर्व ही वार्ड 22 से समाजवादी पार्टी का झंडा-बैनर लेकर जुलूस निकालकर नारेबाजी करते हुए हाजी फतेहयाब भी पहुंच गए। हाजी फतेहयाब का सपा के झंडे-डंडे के साथ पहुंचना इसलिए महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि इसी वार्ड से सरोजनी अग्रवाल गुट के अजय अग्रवाल पहले ही पर्चा भर चुके हैं। उनका भी जिला पंचायत अध्यक्षी का दावा पुख्ता है और सरोजनी गुट का दावा यहां तक है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उन्हें सपा आलाकमान तक का आशीर्वाद मिल चुका है। अजय अग्रवाल और नवाजिश जिले की सरकार के मुखिया बनने की तैयारी में हैं। ऐसे में फतेहयाब बिना किसी इशारे के ग्रासरूट लेवल के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उसी वार्ड से उतरे हैं जिससे अजय गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं, ये बात राजनीति की बारीकियां समझने वालों के गले नहीं उतर रही हैं। हालांकि जिस समय जुलूस निकालकर फतेहयाब अपने समर्थकों संग जा रहे थे, उसी वक्त नवाजिश के साथ जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह, विधायक प्रभुदयाल बाल्मीकि और पूर्व महानगर अध्यक्ष इसरार सैफी भी थे। फतेहयाब को देखकर नवाजिश और उनके साथी एसएसपी दफ्तर के पास से ही अंदर हो लिए, ताकि वे इस जुलूस से अलग दिखे। लेकिन राजनीति में इस तरह से अलग दिखने की कोशिश करते दिखने का भी एक मतलब होता है।
पार्टी अध्यक्ष का कहना है
पार्टी जिलाध्यक्ष जयवीर का बयान भी इसी राजनीति से उलझा हुआ दिखता है। जयवीर सिंह से पूछा गया कि वार्ड 22 से पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार कौन है, इसके जवाब में उन्होंने कहा अभी पार्टी ने किसी को अधिकृत उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे नवाजिश के साथ सिर्फ इसलिए आए हैं, क्योंकि वार्ड 31 से कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर के पुत्र नवाजिश अकेले मैदान में उतर रहे हैं। जिन भी वार्ड से एक से अधिक पार्टी के कार्यकर्ता पर्चा भर रहे हैं,पार्टी संगठन उनके लिए प्रचार नहीं कर रहा है। या तो हाईकमान से कोई निर्देश मिले, तब या फिर कोई रणनीति तय हो तभी वार्डवार उम्मीदवारों के समर्थन का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वार्ड 22 से अब तक सपा के चार कार्यकर्ताओं ने पर्चा भरा है।
तो क्या इनके लिए प्रचार नहीं करेगा संगठन
अजय गुप्ता सपा में किसी सामान्य कार्यकर्ता की तरह नहीं आए हैं, बाकायदा लखनऊ में बड़े-बड़े के साथ उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया है। वे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सेठ दयानंद गुप्ता के पुत्र और सपा एमएलसी डा. सरोजनी अग्रवाल के भतीजे हैं। उनके वार्ड से चार और सपाइयों के नामांकन का मतलब है कि उनकी राह कठिन करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि सपा जिलाध्यक्ष आलाकमान के नए निर्देशों का इंतजार करने की बात कह रहे हैं, लेकिन फिलहाल अगर उनके बयान को आधार मानें तो अजय अग्रवाल के वार्ड 22 से और सपा नेता भी उम्मीदवार हैं,ऐसे में संगठन उनके लिए प्रचार नहीं करेगा।
और भी हैं
सपा के भीतर पंचायत चुनाव की खींचतान हालांकि वार्ड आरक्षण के दौरान ही शुरु हो गई थी। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनिंदर पाल के वार्ड को सामान्य करने के बाद ही राजनीति गरमा गई थी और उन्होंने आरक्षण पर सवाल उठाए थे। वे असंतुष्ट चल ही रहे हैं। उधर, पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के लिए नामांकन शुरु होने के साथ ही फिर नई राजनीति शुरु होने के आसार हैं। लगभग तय है कि समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष अतुल प्रधान की पत्नी भी इस चरण में जिला पंचायत सदस्य के लिए पर्चा दाखिल करेंगी। अतुल की भी नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है। ऐसे में सपा की अंदरुनी महाभारत अभी कई पड़ाव लेगी, ये तय है।