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पांच वर्ष तक पब्लिक स्कूल नहीं बदल सकते ड्रेस

मेरठ : चौधरी चरण सिंह विवि के बृहस्पति भवन में गुरुवार को आयोजित पब्लिक स्कूलों के प्रधानाचार्यो संग

By Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 01:44 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 01:44 AM (IST)
पांच वर्ष तक पब्लिक स्कूल नहीं बदल सकते ड्रेस

मेरठ : चौधरी चरण सिंह विवि के बृहस्पति भवन में गुरुवार को आयोजित पब्लिक स्कूलों के प्रधानाचार्यो संग बैठक में निर्णय हुआ कि स्कूल पांच वर्ष तक ड्रेस में कोई परिवर्तन नहीं कर सकेंगे। ड्रेस में परिवर्तन करने के लिए स्कूलों को कम से कम एक वर्ष पूर्व अभिभावकों को इसकी सूचना सार्वजनिक रूप से देनी होगी। इस बात पर पब्लिक स्कूलों के प्रधानाचार्यो ने भी सहमति जताई है। इसके साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार यादव ने सभी स्कूलों से कक्षा नर्सरी से 12वीं तक बच्चों से विभिन्न मदों में ली जाने वाली फीस, पढ़ाई जाने वाली किताबें, शिक्षकों को दिया जाने वाला वेतन और स्कूल में व्याप्त अन्य सुविधाओं को पूरा ब्यौरा मांगा है। स्कूलों के ब्यौरे पर मंथन करने के बाद अगली बैठक 28 सितंबर को होगी।

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शिकायतों पर हुआ जवाब-तलब

बैठक में भारतीय किसान आंदोलन के संयोजक कुलदीप कुमार त्यागी ने पब्लिक स्कूलों पर मनमानी फीस वसूली का आरोप लगाया और गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग उठाई। जवाब में दीवान पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य एचएम राउत ने कहा कि स्कूलों में फीस उनकी सुविधाओं व व्यवस्थाओं के हिसाब से ली जाती है। अच्छे शिक्षकों को अच्छे पैसे देने और हर साल बढ़ाने पड़ते हैं, इसलिए फीस में वृद्धि की जाती है।

नहीं ले सकते निर्णय

प्रधानाचार्यो की ओर से इस बैठक में स्कूलों के प्रबंधकों को आमंत्रित करने की मांग उठाई गई। उनका कहना हे कि स्कूलों में कुछ भी लागू करने या न करने का निर्णय प्रबंधन करता है, प्रधानाचार्या उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार ने प्रधानाचार्यो की इस मांग को स्वीकार करते हुए अगली बैठक में स्कूलों के प्रबंधकों को भी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि फीस को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्देश में तीन वर्ष में एक बार बढ़ोत्तरी की अनुमति है उसे ही लागू किया जाना चाहिए।

देर से पहुंचे अधिकारी

जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार यादव की ओर से यह बैठक दोपहर साढ़े 12 बजे बुलाई गई थी। वे स्वयं बैठक में 40 मिनट देरी से पहुंचे जबकि सिटी मजिस्ट्रेट 50 मिनट देरी से पहुंचे। साथ ही जिविनि कार्यालय की ओर से सभी स्कूलों को सूचित नहीं किया गया था। बैठक के दिन कई स्कूलों को जानकारी दी गई। पुरानी बैठक की प्रोसीडिंग की जानकारी लिए बिना ही बैठक में उपस्थित हुए। जबकि स्कूलों से तमाम सूचनाएं पिछले निरीक्षण के दौरान ही ले ली गई थी।


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