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सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे विधायक, फिर भी क्लीनचिट

मेरठ : अदालत के डर से पुलिस ने विधायक गुलाम मोहम्मद को नामजद कर दिया, लेकिन सत्ता का दबाव पड़ते ही 24

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 02:03 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 02:03 AM (IST)
सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे विधायक, फिर भी क्लीनचिट

मेरठ : अदालत के डर से पुलिस ने विधायक गुलाम मोहम्मद को नामजद कर दिया, लेकिन सत्ता का दबाव पड़ते ही 24 घंटे बाद विवेचना में एक पर्चा काटकर विधायक को मुकदमे से बाहर कर दिया। हालांकि यशोदा हास्पिटल की वीडियो फुटेज में विधायक मौके पर मौजूद दिखाई दे रहे हैं। पुलिस ने विवेचना में तर्क दिखाया कि विधायक मारपीट नहीं कर रहे थे। इसलिए मुकदमे से बाहर कर दिया। इधर, विधायक के समधी ने इस पूरे प्रकरण को अदालत में ले जाने की चेतावनी दी है। उनका तर्क है कि विधायक की नीयत तो मारपीट की थी।

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सिवालखास से सपा विधायक गुलाम मोहम्मद की बेटी फातिमा की शादी 24 नवंबर 2014 को रालोद नेता कुंवर अय्यूब अली के बेटे अजहर के साथ हुई थी। विधायक का आरोप है कि दहेज के पांच करोड़ रुपये नहीं देने पर बेटी फातिमा को ससुराल में जहर देकर मारने की कोशिश की गई। देहली गेट थाने में फातिमा के पति अजहर और ससुर कुंवर अय्यूब अली के अलावा परिवार के पांच लोगों के खिलाफ दहेज एक्ट और जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज किया गया। विधायक के समधी कुंवर अय्यूब अली निवासी जयपुरिया कॉम्प्लेक्स, कौशाम्बी, गाजियाबाद ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने मुकदमे की कार्रवाई पर काउंसलिंग होने तक रोक के आदेश कर दिए। विधायक के समधी अय्यूब अली की ओर से इंद्रापुरम थाने में बेटे अजहर पर यशोदा हास्पिटल में हमला और जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट विधायक गुलाम मोहम्मद, उनके बेटे शारिक, शारिक के दो साले और विधायक के साले अफजाल के खिलाफ दर्ज कराई गई। 24 घंटे बाद ही इंस्पेक्टर गोरखनाथ यादव ने एक पर्चा काटते ही विधायक का नाम मुकदमे से निकाल दिया। तर्क दिया गया कि यशोदा हास्पिटल की वीडियो फुटेज में विधायक मारपीट करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। इस मामले में डाक्टरों को भी गवाह बनाया गया है। जिस प्रकार से सौ की स्पीड में विवेचना दौड़ी है, उससे साफ है कि सत्ता पक्ष का दखल होने के कारण विधायक का नाम निकाल दिया गया।

ऐसे बन रहे हैं विधायक आरोपी

कानून के जानकारों की मानें तो सीसीटीवी फुटेज में विधायक यशोदा हास्पिटल में खड़े दिखाई दे रहे हैं। इसे इंस्पेक्टर गोरखनाथ यादव भी स्वीकार कर रहे हैं। पुलिस को बता दें कि यदि पांच से छह व्यक्ति किसी की पिटाई करने की नीयत से साथ जा रहे हैं। भले ही पिटाई इनमें से दो ही करें, लेकिन मौके पर सभी साथ हैं, तो सभी बराबर के मुल्जिम बनते हैं। ऐसे में पुलिस ने किस आइपीसी की धारा को पढ़कर नाम निकाल दिया है। विधायक के समधी कुंवर अय्यूब अली ने बताया कि इसे अदालत में रखकर पुलिस को घसीटा जाएगा। इसके लिए चाहे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़े, यह लड़ाई आखिर समय तक लड़ी जाएगी।


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