छावनी में उम्मीदवारों के पैतरेबाजी से महंगाई गायब
जागरण संवाददाता, मेरठ : भले ही देश के अन्य हिस्सों में महंगाई की आंच में आम आदमी झुलस रहा है, लेकिन
जागरण संवाददाता, मेरठ : भले ही देश के अन्य हिस्सों में महंगाई की आंच में आम आदमी झुलस रहा है, लेकिन मेरठ की छावनी से इस समय महंगाई गायब है। छावनी के चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के खर्च पर नजर डाले तो कुछ ऐसा ही आभास होगा। चुनाव में ताल ठोंकने वाले उम्मीदवारों ने अपने पैतरेबाजी से महंगाई पर ब्रेक लगा दिया है। वह दिलखोल कर खर्च कर रहे हैं पर उनके खर्च की सीमा कागज पर बढ़ती नहीं दिख रही है।
छावनी परिषद के 17 मई को होने वाले चुनाव में अब 11 दिन के करीब शेष हैं, ऐसे में सभी आठ वार्ड में उम्मीदवारों ने अपने प्रचार में तेजी ला दी है। छावनी बोर्ड के चुनाव में निर्वाचन अधिकारी की ओर से सभी उम्मीदवारों को लिए एक लाख रुपये में पूरी चुनाव की प्रक्रिया निपटाने का आदेश है, लेकिन हालात यह है कि कई वार्ड में यह खर्च निर्धारित सीमा से ऊपर पहुंच चुका है। सुबह से लेकर रात तक प्रचार वाहनों, पोस्टर, बैनर के अलावा कई वार्ड में जमकर जाम छलक रहा है। शहर के अन्य हिस्सों में जो खर्च सौ रुपये में होगा, वह छावनी परिषद क्षेत्र में उम्मीदवारों के पैतरेबाजी से दस रुपये में पूरा हो जा रहा है। ज्यादातर उम्मीदवार अधिक खर्च करके कागज पर कम खर्च दिखा रहे हैं।
पांच वाहन का खर्चा
छावनी चुनाव में उम्मीदवारों के प्रचार के लिए पांच वाहन निर्धारित किए गए हैं। ज्यादातर उम्मीदवारों ने प्रचार के लिए वार्ड में रिक्शा, आटो और जीप लगाए हुए हैं। रिक्शे पर लाउडस्पीकर के साथ एक दिन का खर्च लगभग एक हजार रुपये है, लेकिन कई प्रत्याशियों ने इसका खर्च चार सौ रुपये प्रतिदिन दिखाया है। इसी तरह आटो के खर्च को भी आधे से कम दर्शाया गया है। उम्मीदवारों के चुनाव कैंप पर भी होने वाले रोज के खर्च की कोई गणना नहीं है।
पेड वुमैन से प्रचार
छावनी परिषद के चुनाव में इस बार एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। जिसमें उम्मीदवारों के जनाधार को वार्ड की जनता में दिखाने के लिए पेड वुमैन का प्रयोग किया जा रहा है। ये महिलाएं गरीब घरों की हैं जिनसे दो सौ से तीन सौ रुपये रोज पर प्रचार कराया जा रहा है। इसके लिए दलाल तक सक्रिय हैं जो पैसे लेकर उम्मीदवारों की मांग के अनुसार महिलाओं की भीड़ जुटाकर वार्ड में उनके पक्ष में जनाधार तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह की महिलाएं कभी एक वार्ड में तो कभी दूसरे वार्ड में जाकर अलग-अलग उम्मीदवारों के प्रचार में जुट रही हैं।