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'हाशिमपुरा कांड में हो फौज की भूमिका की जांच'

मेरठ : हाशिमपुरा कांड में 28 वर्ष बाद आए फैसले में आरोपियों के छूटने को दुखद बताते हुए सेवानिवृत्त आ

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 02:05 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 04:51 AM (IST)
'हाशिमपुरा कांड में हो फौज की भूमिका की जांच'

मेरठ : हाशिमपुरा कांड में 28 वर्ष बाद आए फैसले में आरोपियों के छूटने को दुखद बताते हुए सेवानिवृत्त आइपीएस अफसर विभूति नारायण राय ने इस मामले में फौज की भूमिका को भी जांच के दायरे में लाने की मांग की है।

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नेशनल माइनॉरिटी फ्रंट की ओर से इस्माइल इंटर कालेज में आयोजित एक विचार गोष्ठी में शिरकत करने पहुंचे गाजियाबाद के तत्कालीन एसपी वीएन राय ने कहा कि सभी गवाहों ने बार-बार पीएसी के साथ धरपकड़, तलाशी व गिरफ्तारी के दौरान फौजियों की उपस्थिति की बात कही थी, लेकिन अब तक उसकी एक बार भी जांच नहीं हुई। उन्होंने कहा कि तलाशी व गिरफ्तारी में शामिल होकर फौज ने 22 मई 1987 को अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर भूमिका निभाई थी। वीएन राय ने आशा व्यक्त की है कि इस मामले की दोबारा ईमानदारी से समयबद्ध जांच करने पर अब भी न्याय की आस बची हुई है।

किताब में खुलेगा चिट्ठा

वीएन राय काफी अर्से से इस कांड पर 'हाशिमपुरा-22 मई' नाम से किताब लिख रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले को हर सरकार ने बिगाड़ा है। कहा कि मुसलमानों को घरों से निकालकर 50 से 60 किमी दूर ले जाकर मारने की साजिश पीएसी की टुकड़ी की अगुवाई कर रहा अकेला एसआइ सुरेंद्र पाल सिंह नहीं कर सकता।

उकसावे में न आएं,धैर्य रखें

वीएन राय ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को न्याय न मिलने की बात कहकर कुछ लोग हथियार उठाने को उकसा रहे हैं, लेकिन ये गलत है। इस मामले में अल्पसंख्यक से ज्यादा विरोध बहुसंख्यक समाज के लोग कर रहे हैं। इसलिए एकजुट होकर कानूनी लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता हाजी जीएम मुस्तफा व संचालन डा. मेराजुद्दीन अहमद ने किया। इस मौके पर शहर काजी जैनुससाजिद्दीन, शाहीन परवेज, आदित्य शर्मा, कारी आबिद, डा. राशिद व मोहम्मद इमरान आदि उपस्थित रहे। इससे पहले वे वीएन राय चौ. चरण सिंह विवि में ¨हदी विभाग के सेमिनार में भी आए। उन्होंने कहा कि हाशिमपुरा कांड के 19 आरोपियों में तीन तो मर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह न्याय मिलने तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

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प्रदेश सरकार की मिलीभगत, महापंचायत का ऐलान

मेरठ : हाशिमपुरा कांड में आरोपी पीएसी कर्मियों के बरी होने के मामले में मुस्लिम जन मोर्चा ने प्रदेश सरकार पर पीएसी से मिलीभगत का आरोप लगाया है। प्रदेश सरकार के विरोध में तीन अप्रैल को खैर नगर चौराहे पर यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट के बैनर तले मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही हर धर्म के धर्म निरपेक्ष लोगों व संगठनों को साथ जोड़कर महापंचायत करने का ऐलान किया गया है। मंगलवार को अपार चैंबर में आयोजित प्रेस वार्ता में मोर्चा के पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रेस वार्ता में डा. आइडी गौतम ने कहा कि जिन आरोपियों को पहचान के अभाव में बरी कर दिया गया। उनकी पहचान 22 मई 1987 के ड्यूटी चार्ट के जरिए भी की जा सकती है। मोर्चा का कहना है कि 22 मई को जहां 42 लोगों की हत्या की गई वहीं 23 मई को भी जलाकर मारे जाने व पीएसी की गोली से मारे जाने वालों की संख्या 72 थी। इस अवसर पर मोर्चा की महिला विंग की जिलाध्यक्ष रिजवाना व अनीस मलिक को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वार्ता में डा. आफताब अली, राष्ट्रीय अध्यक्ष शकील अहमद मलिक व जिलाध्यक्ष नदीम सैफी आदि उपस्थित रहे।

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दिल्ली हाईकोर्ट में डालेंगे याचिका

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मेरठ : हाशिमपुरा पीड़ितों के दर्द को साझा करने के साथ हमदर्द बनने को अब हाथ बढ़ने लगे हैं। नेशनल फ्रंट, जमियत उलमा ¨हद, मुस्लिम आरक्षण संघर्ष समिति, युवा सेवा समिति, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा आदि के पीड़ितों के पक्ष में उतरने के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भी पीड़ितों से मिलने पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मोहन बाबू अग्रवाल, राजीव शर्मा एडवोकेट संग मेरठ पहुंचे। यहां अपने सहयोगी मो. सलीम एडवोकेट व अतीक एडवोकेट संग फैसले पर मंत्रणा की। मोहन बाबू अग्रवाल ने कहा कि पूरे मामले में प्रदेश सरकार की ढिलाई सामने आ रही है। सीबीसीआईडी की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। मोहन बाबू अग्रवाल ने कहा कि चार्जशीट व अदालत के फैसले में पीड़ितों का पक्ष तलाशा जाएगा। जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष मोहम्मद इमरान ने कहा कि 22 मई 1987 को आर्मी व पीएसी किसके आदेश पर आयी इसकी भी जांच होनी चाहिए।

मुआवजे की मांग

हाशिमपुरा कांड के आरोपियों को बरी करने के विरोध और पीड़ितों को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया।


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