'भूत बंगले' में तब्दील सेल्स टैक्स अफसरों के आशियाने
मेरठ : करीब 17 साल पहले विभागीय अफसरों को आवंटित करने के लिए खरीदे गए सेल्स टैक्स के अधीन करीब दो दर
मेरठ : करीब 17 साल पहले विभागीय अफसरों को आवंटित करने के लिए खरीदे गए सेल्स टैक्स के अधीन करीब दो दर्जन मकान खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। रिहायशी व पॉश कालोनी के बीचोबीच बने यह मकान असामाजिक तत्वों का अड्डा बनकर रह गए हैं। मकानों में पसरी गंदगी व झाड़ियों के कारण रक्षापुरम व मीनाक्षीपुरम कालोनीवासियों का जीना दुश्वार हो गया है। आलम यह है कि शाम ढलते ही स्थानीय महिलाएं इन मकानों के पास से गुजरते हुए बेहद डर महसूस कर रही हैं। लाख शिकायत के बावजूद विभागीय अफसर आंखे मूंदे हुए हैं।
रक्षापुरम् स्थित एमडीए उपाध्यक्ष आवास के ठीक सामने सेक्टर चार में एक दूसरे से सटे 24 खाली व बंद मकान हैं। कालोनीवासियों के मुताबिक, इन मकानों को सन् 1997 में सेल्स टैक्स विभाग ने अपने ए-ग्रेड अफसरों के निवास कराने के उद्देश्य से खरीदा था। अफसरों के न रहने के कारण तभी से सभी मकान बंद व खाली पड़े हैं। नतीजन वर्तमान समय में सभी मकान जर्जर हालत में पहुंच गए हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का कारण भी बन सकते हैं। स्थानीय निवासी डा. एसडी गौड़, कैप्टन मान सिंह, एसके गुप्ता, धर्मवीर सिंह व लल्लू सिंह आदि का कहना है कि इन मकानों की वजह से कालोनी का जीवन नरक से बदतर बन चुका है।
अफसरों के न रहने का बहाना
सेल्स टैक्स से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि विभाग की ओर से अफसरों को हाउस रेंट के तौर पर करीब 15 से 20 हजार मासिक खर्चा मिलता है। यदि वह विभाग की ओर से आवंटित मकान में रहते हैं तो इन्हें यह मासिक खर्चा नहीं मिलता। इसीलिए अफसर लोग विभाग की बजाय सस्ते रेट में अलग प्राइवेट मकान लेकर किराए पर रहने में ज्यादा अच्छा मानते हैं और बची राशि के हिस्से को अपनी आमदनी में जोड़ लेते हैं।
यह है मकानों की वर्तमान स्थिति
वीआईपी क्षेत्र डिफेंस कालोनी के पीछे इन मकानों की हालत इतनी खराब हो गई है कि कंटीली झाडि़यां छत से ऊपर निकल गई हैं। दरवाजे, ताले, टोंटी, जाली आदि सभी सामान चोरी कर लिए गए हैं। चौबीस घंटे पानी, टोंटी न होने के कारण फिजूल बहता रहता है। दिन-रात असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। मकानों में कई बार प्रेमी युगल रंगरलियां मनाते पकड़े गए हैं। रक्षापुरम व मीनाक्षीपुरम कालोनीवासियों में समस्या को लेकर खासा आक्रोश है।