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बंगला, बैंक बैलेंस और गाड़ी का देना होगा हिसाब

अनुज शर्मा, मेरठ करोड़पति परिवहन अधिकारियों और कर्मचारियों की अकूत संपत्ति के राज अब खुलकर सामने

By Edited By: Published: Fri, 06 Mar 2015 12:51 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2015 12:51 AM (IST)
बंगला, बैंक बैलेंस और गाड़ी का देना होगा हिसाब

अनुज शर्मा, मेरठ

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करोड़पति परिवहन अधिकारियों और कर्मचारियों की अकूत संपत्ति के राज अब खुलकर सामने आ जाएंगे। शासन तथा परिवहन आयुक्त ऑफिस आठ साल से उनसे यह ब्यौरा मांग रहा है लेकिन पोल खुलने के डर से यह घोषणापत्र नहीं दिया जा रहा है। लेकिन अब उन्हें अपनी लग्जरी गाड़ियों, नोएडा व अन्य बड़े शहरों में बंगले और बैंक बैलेंस का हिसाब देना ही होगा। परिवहन आयुक्त ने 15 दिन में सभी से यह घोषणापत्र मांगा है।

परिवहन विभाग के कर्मचारियों के पास पास नोएडा जैसे शहरों में कई कई मकान, लग्जरी गाड़ियां और बैंक में लाखों रुपये पड़े रहते हैं। अधिकारियों की संपत्ति का तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। विभाग के अधिकांश अधिकारी नोएडा में निवास करते हैं, वहीं से अपनी लग्जरी गाड़ियों से रोजाना वेस्ट यूपी के शहरों में ड्यूटी देते हैं। प्रदेश शासन और परिवहन आयुक्त फरवरी 2007 से लगातार अधिकारियों कर्मचारियों से उनकी चल अचल संपत्ति का घोषणापत्र मांग रहा है, लेकिन हर बार आदेश को टाल दिया जाता है। इस बार परिवहन आयुक्त के रविंद्र नायक ने प्रदेश के सभी उप परिवहन आयुक्त, सभी आरटीओ, आरटीओ प्रवर्तन को सख्त आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि आठ साल से बार बार संपत्ति के घोषणापत्र की मांग की जा रही है लेकिन यह प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। परिवहन आयुक्त ने सभी अधिकारियों से अपनी तथा अधीनस्थ सभी राजपत्रित अधिकारियों का चल अचल संपत्ति के विवरण का घोषणापत्र हर हाल में 15 दिन में मांगा है।

वकीलों की शरण में अफसर

परिवहन आयुक्त के सख्त आदेश से विभाग में हड़कंप की स्थिति है। अकूत संपत्तियों को छिपाने तथा उन्हें वैध बनाने के लिए अफसर अधिवक्ताओं के संपर्क में हैं।

हर पांच साल में देना होता है घोषणापत्र

उ.प्र. सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के नियम 24(3) व 24(4) के तहत सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति के बाद प्रत्येक पांच वर्ष पर अपने नियुक्ति अधिकारी को ऐसी समस्त संपत्तियों का घोषणापत्र देगा जिसका वह खुद स्वामी हो, अर्जित किया हो, दान में पाया हो, जिसे वह पंट्टा या रेहन पर रखे हो, पत्नी और आश्रितों के नाम पर रखी गई हो या अर्जित की गई हो।

अभी तक ये जारी हो चुके हैं पत्र

- 2 फरवरी 2007

- 30 जून 2008

- 23 मार्च 2010

- 20 अप्रैल 2012

इन्होंने कहा.

सभी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए यह आवश्यक है, लेकिन कुछ लोग ही यह विवरण उपलब्ध कराते हैं। इस बार परिवहन आयुक्त ने सख्ती से घोषणापत्र मांगा है। जल्द सभी का घोषणापत्र परिवहन आयुक्त को भेज दिया जाएगा।

-आर के उपाध्याय, उप परिवहन आयुक्त


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