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होली के रंग में मिठास भर देगी ये गुजिया

मेरठ : होली के रंगीले त्यौहार में जब रंग बरसे और तन भीग जाए, तो ठंढई के साथ गुजिया की चाहत तन-मन को

By Edited By: Published: Thu, 05 Mar 2015 01:55 AM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2015 01:55 AM (IST)
होली के रंग में मिठास भर देगी ये गुजिया

मेरठ : होली के रंगीले त्यौहार में जब रंग बरसे और तन भीग जाए, तो ठंढई के साथ गुजिया की चाहत तन-मन को बेताब कर देती है। पूरे जोश के साथ रंगों में सराबोर होने और फिर जमकर गुजिया खाने का चलन ही इस त्यौहार को खास बनाता है। और जब बात त्यौहार पर खान-पान की हो तो हर कोई अपने-अपने शहर के बेहतरीन स्वाद की ओर ही आकर्षित होते हैं। गुजिया के मामले में कुछ ऐसा ही स्वाद रामचंद्र केशोराम का है, जिसे जिसने भी एक बार चखा वो दोबारा लौटकर जरूर पहुंचा।

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कबाड़ी बाजार शिव मंदिर के निकट सरदार पटेल गंज स्थित विजय बंसल की रामचंद्र केशोराम नामक दुकान एक ऐसा पता है, जहां सैकड़ों गुजिया प्रेमी हर वर्ष होली पर जरूर पहुंचते हैं। पिछले 14 वर्षो से इन्होंने अपने उत्पादों की संख्या बढ़ाने की बजाय गुणवत्ता को ही बढ़ाने पर जोर दिया और ग्राहकों की संतुष्टि को ही अपना मुनाफा बनाया। इस स्वाद की महक इस इलाके से बाहर निकलकर शहर के अन्य कोनों तक पहुंचने के साथ-साथ लोगों के माध्यम से दूसरे शहरों तक भी पहुंच चुकी है।

शुद्धता ही पहचान है

बंसल का कहना है कि वे गुजिया व अन्य मिठाइयों के लिए मावा बाजार से लेने की बजाय स्वयं बनाते हैं। इसके साथ ही ड्राई फ्रूट बेहतर क्वालिटी का इस्तेमाल करते हैं जिससे क्वालिटी व स्वाद पर कोई फर्क न पड़े। मावा को शुद्ध रखने के लिए दूध भी विश्वसनीय डेरी से लेते हैं और समस-समय पर उसकी जांच करते रहते हैं। यही कारण है कि हर बार ग्राहकों से शुद्धता की प्रशंसा मिली और वे उसे कायम रखने में कामयाब रहे।

हर त्यौहार पर बदलता है मिजाज

विजय बंसल का कहना है कि हर त्यौहार के अनुसार वे अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं। होली पर जहां गुजिया बनाते हैं वहीं दिवाली पर नान खठाई व रेवड़ी गजक चलता है। सावन में मलाई घेवर और ईद पर इनके खस्ता कचौरी का स्वाद सिर चढ़कर बोलता है। इसके अलावा रक्षाबंधन व दशहरे पर मिठाइयों की संख्या अधिक होती है। इन चीजों के अलावा गोंद लड्डू, मटर-काजू समोसा आदि कुछ स्वादिष्ट खाद्य सामग्री भी बनाते हैं।

शहर के बाहर पहुंची खुशबू

बंसल बताते हैं उनके उत्पादों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में उनके ग्राहकों की भूमिका अहम रही है। शहर के ग्राहकों के कारण ही उनके विभिन्न उत्पाद बंगलूरू, वाराणसी, चित्रकूट, गोरखपुर और सऊदी अरब तक पहुंची है। वहां लोगों ने स्वाद चखने के बाद कोरियर के जरिए मंगाना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों ही गोरखपुर के रविंद्र अग्रवाल ने 15 किलोग्राम रेवड़ी गजक और वाराणसी से लत्तूजी डेरा वाले प्रमोद अग्रवाल ने पांच किलो गुजिया मंगाया था। वे ग्राहकों के अनुरोध पर विशेष तौर पर सामान तैयार कर कोरियर से भी भेज देते हैं।


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