पांच नई पीएचसी, पांचों फर्जी
संतोष शुक्ल, मेरठ : नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों के मामले में मेरठ ने बड़ा खेल कर दिया। मुख्यमंत्री ने
संतोष शुक्ल, मेरठ :
नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों के मामले में मेरठ ने बड़ा खेल कर दिया। मुख्यमंत्री ने लखनऊ में सौ नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों का उद्घाटन किया तो मेरठ की दलित बस्तियों में कागजों में स्वास्थ्य केंद्र संचालित दिखा दिए गए। जबकि वास्तविकता में न तो कहीं स्वास्थ्य केंद्र है, और न ही कोई स्टाफ बैठा। किराए के भवनों के लिए कोई अनुबंध नहीं हुआ। कागजी रिपोर्ट के साथ स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के कारवां में शामिल भी हो गया। पीएचसी एवं सीएचसी के चिकित्सकों की डयूटी इन केंद्रों पर दिखाकर कोरम पूरा कर लिया गया। मौके पर जांच की गई तो कहीं एक भी केंद्र पर चिकित्सा स्टाफ नहीं मिला।
स्टाफ की नियुक्ति में भ्रष्टाचार
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत मेरठ के कुंडा, अब्दुल्लापुर, जाहिदपुर, कसेरूबक्सर, एवं पल्हेड़ा की दलित बस्तियों में पीएचसी खोलने की योजना बनी। दो माह पहले स्टाफ भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें अभ्यर्थियों से धन उगाही की सूचना स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंच गई। भर्ती पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश जारी कर दिया। इसमें सीएमओ कार्यालय के कई अधिकारियों की मिलीभगत भी चर्चित हुई। मामला लटकने की वजह से स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी पांच दलित बस्तियों में किराए के भवन की खोज में भी सुस्ती बरती। इसी बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 27 नवंबर को सौ नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का उद्घाटन करने की घोषणा की, तो शासन के हाथ पांव फूल गए।
स्वास्थ्य केंद्र तय नहीं, डाक्टरों की दिखा दी तैनाती
प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने 21 नवंबर को मेरठ, अमरोहा, इलाहाबाद, हापुड़, रायबरेली, बहराइच, फतेहपुर, बागपत, कासगंज, पीलीभीत के जिलाधिकारियों एवं सीएमओ को पत्र भेजकर सप्ताहभर में तैयारियों पर रिपोर्ट मांग ली। फटकार लगाते हुए कहा कि दलित बस्तियों में भवनों को चिन्हित करने के बाद भी स्टाफ की नियुक्ति क्यों नहीं की गई? शासन ने सप्ताह भर में जवाब देने के कहा। इधर, दो माह से मेरठ में करीब 105 स्टाफ नर्स, डाक्टर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एवं अन्य की नियुक्ति का मामला अटकने से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन में कोई प्रगति नहीं हुई। आनन फानन में किराए के भवनों में चलने वाले स्वास्थ्य केंद्रों की सूची बनाई गई। मकान मालिकों से विभाग ने अब तक अनुबंध नहीं किया। पीएचसी एवं सीएचसी के चिकित्सकों को दलित बस्तियों के इन प्रस्तावित स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात दिखाया गया।
सीएमओ डा. अमीर सिंह का कहना है कि नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत दलित बस्तियों में स्वास्थ्य सेवा संचालन में स्टाफ की दिक्कत है। मुख्यमंत्री के आदेश की वजह से आनन फानन में व्यवस्था करनी पड़ी।