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ह्यूंज के बहाने उठे हेलमेट की सुरक्षा पर सवाल

संतोष शुक्ल, मेरठ : दुनियाभर की क्रिकेट पिचें तूफानी नहीं रहीं। बल्लेबाजों के सिर से पांव तक सुरक्षा

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 02:17 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 02:17 AM (IST)
ह्यूंज के बहाने उठे हेलमेट की सुरक्षा पर सवाल

संतोष शुक्ल, मेरठ : दुनियाभर की क्रिकेट पिचें तूफानी नहीं रहीं। बल्लेबाजों के सिर से पांव तक सुरक्षा के तमाम उपकरण विकसित हो गए, किंतु घरेलू क्रिकेट खेलते हुए एक गेंद आस्ट्रेलिया के टेस्ट बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की हेलमेट को भेद गई। वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं, साथ ही हेलमेट की अभेद्य सुरक्षा पर भी नई बहस चल पड़ी है।

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अभेद्य होता है हेलमेट:

क्रिकेट उपकरण बनाने की बादशाहत रखने वाला मेरठ हेलमेट बनाने में भी बेजोड़ है। जालंधर, नई दिल्ली, चीन एवं इंग्लैंड में भी हेलमेट बनाया जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का दावा है कि हेलमेट से गेंद टकराने के बाद उसकी मारक क्षमता काफी हद तक कम हो जाती है। क्रिकेट का हेलमेट तीन परतों में सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें उच्च गुणवत्ता का फाइबर एवं पालीस्टाइरिन केमिकल मिलाया जाता है, जबकि आंखों के सामने टाइटेनियम की ग्रिल लगी होती है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की टीम जांच कर इसे प्रमाण पत्र देती है। एसएफ कंपनी के मालिक अनिल सरीन कहते हैं कि ह्यूंज को गेंद गर्दन की तरफ लगी होगी, क्योंकि हेलमेट में गेंद लगने पर ऐसी अवस्था नहीं हो सकती। गेंद हेलमेट से टकराती है तो उसमें प्रयुक्त आठ मिलीमीटर मोटाई का पॉलीस्टाइरिन रसायन टक्कर के प्रभाव को फैला देता है, जिससे चोट की संभावना न्यूनतम रह जाती है। एसजी के पारस आनंद का कहना है कि हेलमेट में हथौड़े की चोट सहने की भी क्षमता होती है, ऐसे में गेंद से चोट लगने का मामला समझ से परे है।

मास्टर ब्लास्टर भी हुए थे चोटिल

अस्सी की दशक में क्रिकेट की पिचों पर खून की छीटें खूब देखे गए। हालांकि गेंदबाज की गेंद से चोटिल होकर कोमा में पहुंचने का मामला सामने नहीं आया। वेस्टइंडीज की पेस बैटरी मार्शल, होल्डिंग, गार्नर, राब‌र्ट्स, क्लार्क, बेंजामिन, बैप्टिस्ट, पैटरसन एवं बाद में वॉल्श, एम्ब्रोस और बिशप की गेंदें पिच पर आग उगलती थी। शुरुआत में बल्लेबाजों के पास शरीर की सुरक्षा के इतने उपकरण भी नहीं थे। अस्सी के दशक में हेलमेट लगाने की परंपरा शुरू हुई, किंतु उसमें चेहरे पर जाली नहीं थी। 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करने वाले के दौरान सचिन तेंदुलकर भी वकार यूनिस की एक बाउंसर पर नाक पर चोट खा बैठे थे, उसके बाद मास्टर ब्लास्टर ने हमेशा ग्रिल वाली हेलमेट का प्रयोग किया।

मैदान पर घायल होते रहे हैं खिलाड़ी

- वेस्टइंडीज के खतरनाक तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल एवं पैट्रिक पैटरसन ने उस दौर में सर्वाधिक बल्लेबाजों को घायल किया। वर्ष 1984 में इंग्लैंड दौरे में मार्शल की एक गेंद ने इंग्लैंड के बल्लेबाज एंडी लायड के हेलमेट पर जख्म का निशान छोड़ा। सिर में लगी चोट की वजह से लायड का करियर पटरी से उतर गया।

- इमरान खान की गेंद पर मोहिंदर अमरनाथ और वसीम अकरम की गेंद पर श्रीकांत चोटिल हुए।

- हेलमेट की जाली के बावजूद मनोज प्रभाकर वाल्श की गेंद पर नाक पर चोट खा बैठे थे।

और सुरक्षित बनाए जाएं हेलमेट : आइसीसी

आइसीसी ने हेलमेट में नए संशोधनों की सिफारिश की है। हेलमेट में मुंह के समक्ष जाली के बीच की दूरी ज्यादा होने के कई बार गेंद बल्लेबाज की नाक एवं माथे में लग सकती है। ऐसे में इस घटना के बाद आइसीसी ने खेल उपकरण विशेषकर हेलमेट बनाने वाली कंपनियों से और सुरक्षित हेलमेट बनाने की अपील की है।


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