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ये हादसा नहीं है, लापरवाह व्यवस्था है कातिल

सुशील कुमार, मेरठ अखबार की सुर्खियां चीखती नहीं हैं, वरना शास्त्रीनगर के सेक्टर बारह के उन परिवार

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 04:08 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 04:08 AM (IST)
ये हादसा नहीं है, लापरवाह व्यवस्था है कातिल

सुशील कुमार, मेरठ

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अखबार की सुर्खियां चीखती नहीं हैं, वरना शास्त्रीनगर के सेक्टर बारह के उन परिवारों का रुदन आपको हिलाकर रख देता, जिनके बच्चों को अवैध रुप से चल रहे एक तबेले के मवेशियों ने कुचलकर मार दिया। व्यवस्था इस कदर संवेदनहीन है कि हमें लापरवाही से होने वाली मौत को हादसा कहने की आदत पड़ गई है, वरना शास्त्रीनगर के सेक्टर बारह में बच्चे हादसे में नहीं मारे गए हैं, बल्कि उनका कत्ल किया गया है। पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है, लेकिन इनकी मौत का जिम्मेदार पूरा सिस्टम है।

किसी के भी साथ हो सकता है ये हादसा

भगवान न करे कि किसी के साथ ऐसा हादसा हो। लेकिन एक पल के लिए इस समस्या की भयावहता पर नजर डालेंगे तो जेहन में अपने छोटे बच्चे घूम जाएंगे। ये हाल है कि शहर का सबसे बड़े चौराहे बेगमपुल से कुछ ही दूरी पर जीआइसी के सामने भी आपको एक डेयरी दिखेगी। शहर के हर मोहल्ले में भैंसे सड़क पर खुलेआम घूम रही हैं, लेकिन इस सिस्टम के लिए इंसान की मौत इतनी सस्ती है कि उसे इसकी कोई परवाह नहीं है।

'क्या इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं'

खाली पड़ा प्लाट आवास विकास परिषद का है। आवास विकास परिषद का कहना है कि ये प्लाट प्राथमिक विद्यालय को आवंटित है। बीएसए से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें तो स्कूल बनवाने का ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है। मेरी जानकारी में ऐसा कोई प्लाट नहीं है। खैर आवास विकास ये स्वीकार कर रहा है कि उसने स्कूल के लिए जमीन आवंटित किया है, लेकिन वहां लैंड यूज बदलकर बाकायदा तबेला चलाया जा रहा है,इससे अपनी जिम्मेदारी से वे इन्कार करते हैं। उनका तर्क है कि हम नक्शे के उल्लंघन पर कार्रवाई करते हैं। सवाल है कि आवास विकास,बेसिक शिक्षा विभाग और नगर निगम इन मौतों के जिम्मेदार नहीं हैं।

पुलिस-प्रशासन को भी कुछ नहीं दिखता

शास्त्रीनगर के सेक्टर बारह में आरटीओ नाले के पास खाली प्लाट पड़ा है, जिसकी चारदीवारी हो चुकी है। इस प्लाट के आसपास बस्ती के लोग रहते हैं। नगर निगम और आवास विकास परिषद से मिलकर पशु मालिकों ने प्लाट पर कब्जा जमा रखा है। प्लाट भैंसों के आरामगाह बना हुआ है। प्लाट से बाहर रोजाना सैकड़ों भैसों को बस्ती के बीच से आना जाना लगा रहता है। किसी ने विरोध करने की कोशिश भी की तो पशुपालकों ने दबंगई कर उन्हें चुप करा दिया।

क्या सरकारी विभागों पर भी होगी कार्रवाई

पुलिस ने पशुपालक राजू, फाइक, कत्लू और मेहराज निवासीगण शास्त्रीनगर के खिलाफ गैरइरादातन हत्या में मुकदमा दर्ज कर लिया है। लेकिन आवास विकास परिषद, नगर निगम और शिक्षा विभाग के अफसरों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। क्या प्लाट में पशुओं को अवैध ढंग से रखने की वजह से तीन बच्चों की मौत के आरोप में इन विभागों के अधिकारियों पर क्या कार्य में लापरवाही का भी अपराध नहीं बनता?

साहब हमारा कोई कसूर नहीं इंसाफ दे दो : फराह और आफिया की मौसी ने तो एसपी सिटी को ही पकड़ लिया। रोते हुए मौका-ए-वारदातपर पहुंच गई, बोली साहब गौर से देखो इस जमीन को जिसने हमारे बच्चों को खून पी लिया है। जो गुनाहगार को उनको सजा अवश्य मिले।

मृतक बच्चे

नाम : आफिया

उम्र : चार साल

पिता का नाम : जाहिद(ट्रक चालक)

निवासी : शास्त्रीनगर सेक्टर बारह

नाम : शाद

उम्र : पांच साल

पिता का नाम : नौशाद(आटो चालक)

नाम : फराह

उम्र : चार साल

पिता का नाम : असगर (राज मिस्त्री)

'जांच में विभाग दोषी मिले तो होगी कार्रवाई'

अगर जांच में आवास विकास,नगर निगम या शिक्षा विभाग की लापरवाही मिली तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई में कोई कोताही नहीं होगी।

-ओंकार सिंह,एसएसपी


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