..ये पिटाई और थर्ड डिग्री भी तो कानूनन नहीं है?
मेरठ : विश्वविद्यालय के क्लर्क सुनील पांडेय ने वास्तव में छेड़छाड़ की है, या प्रदर्शन के दौरान जंजीर म
मेरठ : विश्वविद्यालय के क्लर्क सुनील पांडेय ने वास्तव में छेड़छाड़ की है, या प्रदर्शन के दौरान जंजीर में उलझकर गिरा? यह तो पुलिस की विवेचना का हिस्सा है। इस पर कयास लगाना ठीक नहीं है, लेकिन शहर में छेड़छाड़ की तमाम घटनाओं पर लीपापोती करने वाली पुलिस अपने अधिकारी के मसले में जैसा कर रही है, क्या वह ठीक है? सीओ ने मौके पर ही आरोपी युवक के साथ हाथापाई की और बाकी पुलिसकर्मियों ने आरोपी सुनील की बेरहमी से पिटाई की। एक बारगी अगर सुनील को आरोपी मान भी लिया जाए तो क्या उसे सार्वजनिक रूप से पीटना उचित है? अगर कोई चोरी करता पकड़ा जाता और भीड़ कानून हाथ में लेती है, तो क्या पुलिस उसे छुड़ाती नहीं है? एफआइआर की बात समझ में आती है, लेकिन खुलेआम पीटने का क्या औचित्य है? आरोपी के परिजनों के आरोपों में अगर सच्चाई मानी जाए तो सिविल लाइन थाने में पुलिस ने सुनील को थर्ड डिग्री दी। परिजन तो यहां तक कह रहे हैं कि सुनील के हाथों को टेबल पर रखकर डंडे से पीटा गया।
मामला लखनऊ तक गूंजा, शासन नाखुश
एक ओर जहां आरोपी के साथी विश्वविद्यालय कर्मचारियों का आरोप है कि गलती से सीओ से टकराने पर भड़की सीओ ने पूरे प्रकरण में अपने अधिकारों का बिना विवेक के इस्तेमाल किया है। वहीं, दूसरी ओर मामला लखनऊ तक गूंजने के बाद सरकार भी इस प्रकरण पर नाखुश बताई जाती है। शासन का मानना है कि इस तरह के मुकदमे से यह संदेश जाता है कि जब महिला पुलिस अफसर प्रदेश में सुरक्षित नहीं है तो कौन सुरक्षित होगा? डीजीपी ने पूरे केस की विस्तृत जानकारी मांग ली है।
छेड़छाड़ की विवेचना में पुरुष दारोगा?
सीओ के साथ छेड़छाड़ की विवेचना एसआइ मनोज कुमार को दी गई है। सवाल यह है कि सीओ के साथ छेड़छाड़ के संगीन आरोप में महिला सीओ या इंस्पेक्टर को विवेचना क्यों नहीं दी गई?
आरोपी गया जेल
गिरफ्तार किए आरोपी सुनील पांडेय को जेल भेज दिया गया। जिला जज की अदालत में आरोपी की जमानत को अर्जी डाल दी है, जिसमें 27 नवंबर की तिथि मुकर्रर हुई है।
बढ़ने लगा राजनीतिक दबाव : एसएसपी से लेकर आला अफसरों तक पर इस मामले को निपटाने के लिए कहा जा रहा है। इसके पीछे डर है कि कहीं कर्मचारी विद्रोह पर न उतर जाए। इसी को लेकर सीओ के मुकदमे से छेड़छाड़ की धारा हट सकती है।
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'सीओ बाद में, पहले महिला हूं'
आरोप है कि सीओ ने अपने ऊपर कर्मचारी के गिरने पर गुस्से में मुकदमा दर्ज कराया। लेकिन पुलिस सूत्रों की मानें तो सीओ ने अधिकारियों से बताया कि आरोपी अचानक ही उनके ऊपर नहीं गिरा, बल्कि उसने ऐसा इरादतन किया है। यूनिवर्सिटी में हुए पहले के प्रदर्शनों में भी आरोपी का रवैया ठीक नहीं था। सीओ से बात की गई तो उनका कहना था कि सीओ से पहले वह एक महिला भी हैं, यदि कोई छेड़छाड़ करेगा तो उसके खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर मारपीट भी करूंगी। महिलाओं और बेटियों को मनचलों से सुरक्षा करने के लिए प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं।