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अश्कबार आंखों से जियारत, जुलजुनाह बरामद

मेरठ : मुहर्रम की छह तारीख हजरत इमाम हुसैन के बेटे हजरत अली अकबर की शहादत से मन्सूब है। शुक्रवार को

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 02:14 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 02:14 AM (IST)
अश्कबार आंखों से जियारत, जुलजुनाह बरामद

मेरठ : मुहर्रम की छह तारीख हजरत इमाम हुसैन के बेटे हजरत अली अकबर की शहादत से मन्सूब है। शुक्रवार को अजाखानों और इमाम बारगाहों में मजलिसों का दौर बदस्तूर जारी रहा। बारगाह तकी हुसैन बाजार पेड़ामल से कदीमी जुलजुनाह अकीदत के साथ बरामद हुआ।

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अंजुमन इमामिया के नौहेख्वान वाजिद अली गप्पू, चांद मियां, मीसम तथा दस्तये हुसैनी के हुमायूं अब्बास ताबिश, अतीक उल हसनैन, हिलाल आब्दी, वसीम दिलदार व तंजीम ए अब्बास के सफदर अली, जिया जैदी, सागर दारेन, शाजी ने पुरसोज नौहेख्वानी की। जुलूस बढ़ाना गेट, खैर नगर, छत्ता स्टेट बैंक, छत्ता बुर्जियान, छोटी कर्बला, चौड़ा कुआं, मनसबिया घंटाघर से होता हुआ देर रात इमाम बारगाह पेड़ामल पहुंच कर सम्पन्न हुआ। जुलूस का प्रबंध सज्जाद रिजवी, नदीम रिजवी, मोहर्रम कमेटी के संयोजक शाह अब्बास सफवी, हामिद अली, शमशाद, नियाज हुसैन, नईमुल हसन, कौसर रजा, नजमुल हसन ने किया।

जैदी फार्म स्थित दरबारे हुसैनी में मौलाना अस्करी खान की तकरीर के बाद दिलबर जैदी के संयोजन में अलम-ए-मुबारक हजरत-ए-अब्बास का जुलूस पुरानी कोठी से होता हुआ रईस हुसैन के अजाखाने जैदी चौकी पहुंचकर खत्म हुआ। जावेद रजा, अयाज, मौ. मेहंदी, नजर, हसन मियां, मुन्नू आदि ने नौहेख्वानी की। मजलिसों का दौर बदस्तूर जारी रहा। उधर, गुरुवार को मातमपुर्सी के दौरान मरे सोगवार फिरोज का जनाजा मकबरा अब्बू स्थित उनके आवास से कर्बला पहुंचा। मौलाना जहीर आलम ने जनाजे की नमाज पढ़ाई और यहां सुपुर्द ए खाक किया गया।

अब्दुल्लापुर में सुबह अजाखाना रंगमहल में मजलिस हाजरी मरहूम मुस्तुजाब हुसैन की जानिब से, दूसरी मजलिस हाजरी इमामबारगाह असगर हुसैनी मरहूम, तीसरी मजलिस मरहूम मजाहिर हुसैन के यहां मोहल्ला गढ़ी में हुई। नायब अली एडवोकेट ने बताया कि रात में एक मजलिस अजाखाना पक्की बैठक व दूसरी मजलिस अजाखाना मरहूम जफर अहमद के यहां हुई। मजलिस के बाद जियारत झूला हजरत अली असगर बरामद हुआ। रात में जुलूस-ए-ताबूत व जुलजुनाह हजरत कासिम कोठी हसन इमाम के यहां से बरामद होकर मोहल्ला कोट से होता हुआ अजाखाना कोठी अनवर अली मरहूम के यहां जाकर सम्पन्न हुआ। यहां तबर्रूकात तकसीम किए गए।


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