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मातहतों ने डीजीपी के निर्देशों की चढ़ा दी बलि

मेरठ : कानून व्यवस्था पर भरोसा खोती पुलिस की साख इस बार अपनों ने ही धूमिल कर दी। छेड़छाड़ एवं दुष्कर्

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 02:03 AM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 02:03 AM (IST)
मातहतों ने डीजीपी के निर्देशों की चढ़ा दी बलि

मेरठ : कानून व्यवस्था पर भरोसा खोती पुलिस की साख इस बार अपनों ने ही धूमिल कर दी। छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म जैसे जघन्य कृत्यों के लिए पुलिस ने युवाओं की आधुनिक जीवनशैली एवं पहनावे पर हमला बोल दिया। पुलिस ने 20 मार्च 2013 को जारी डीजीपी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए घटनाओं की संवेदना की धज्जियां उड़ा दीं। इस जवाब के बाद न सिर्फ वर्दी की साख गिरी है, बल्कि शासन ने सभी थानों को कटघरे में खड़ा कर सफाई मांग ली है। प्रदेशभर के पुलिस महकमे हड़कंप मचा है।

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डीजीपी का भी संज्ञान नहीं लेती पुलिस

पुलिस महानिदेशालय अब पूरे समाज के निशाने पर है। सूचना का अधिकार अधिनियम ने पुलिस के मन में दबी भड़ास को उजागर कर दिया, जिससे नया तूफान खड़ा हो गया है। मेरठ के आरटीआइ कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने 12 जुलाई 2014 को पुलिस महकमे से छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म से जुड़े कई बिंदुओं पर जवाब मांगा। हापुड़ पुलिस ने छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म को लेकर आधुनिक जीवनशैली, पहनावा, अज्ञानता एवं अवैध संबंधों को कारण माना है। इलाहाबाद पुलिस ने महिलाओं के पहनावा, मोबाइल एवं अश्लील गानों के प्रचलन को दुष्कर्म का दोषी बता दिया। गौरतलब है कि 20 मार्च 2013 को तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एसी शर्मा ने सभी जिलों को पत्र भेजकर हिदायत दी थी कि छेड़छाड़ एवं दुष्कर्म के मामलों पर महिलाओं के पहनावे, जीवनशैली एवं फैशन पर टिप्पणी न की जाए। डीजीपी ने कहा था कि ऐसे संवेदनशील मामलों पर जानकारी एसएसपी एवं एसपी स्तर पर दी जाए, जबकि आरटीआइ में थानाध्यक्षों ने अपने ढंग से दुष्कर्म का कारण गिनवा दिया।

अजब पुलिस के गजब जवाब

देवरिया पुलिस ने बच्चों को स्वतंत्रता देने पर ही सवाल खड़ा कर दिया। फिरोजाबाद पुलिस ने मनोरंजन के साधनों की कमी एवं पारिवारिक कलह को दुष्कर्म की घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताया। थाना परतापुर ने दो कदम आगे निकलते हुए कहा कि बच्चों में इंटरनेट का जंजाल उन्हें दुष्कर्मी बना रहा है। मेरठ सिविल लाइंस पुलिस ने लोक-लिहाज की खत्म होती रस्म को दोषी माना है। थाना नौचंदी ने गत वर्ष सफारी में हुई वारदात को ही शून्य कर दिया। मेरठ जोन के आइजी आलोक शर्मा पुलिस के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते।


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