न्यायिक सेवा में बहू-बेटियों का परचम
मेरठ: उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा (पीसीएस-जे) की 2013 की परीक्षा में मेरठ की महिलाओं ने कमाल क
मेरठ: उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा (पीसीएस-जे) की 2013 की परीक्षा में मेरठ की महिलाओं ने कमाल की कामयाबी हासिल की है। परीक्षा में एक नहीं कई महिलाओं ने सफलता हासिल की। इसमें कोई बहू है तो कोई बेटी। सात साल के बच्चे की मां ने घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों को निभाते हुए सफलता की नई गाथा लिखी है, वहीं कुछ ऐसी भी हैं, जिनके सिर से पिता का साया उठने के बाद भी उन्होंने अपने बुलंद हौसले से सफलता हासिल की है। दीपावली पर ऐसी सफलता से सभी के चेहरे पर दमक उठे हैं। पीसीएस जे में महिलाओं के अलावा कुछ पुरुषों ने भी सफलता हासिल की है। इसमें कई ने जागृति विहार के लॉ प्वाइंट के पवित्र नारायण की गाइडेंस में अपनी तैयारी को अंजाम दिया।
घर के बाद पढ़ने में लगाया: संगीता
लख्मी विहार, जागृति विहार की संगीता का सात साल का बेटा है। मेरठ कालेज से वर्ष 2009 में एलएलएम करने वाली संगीता की शादी वर्ष 2007 में हो गई। उनके पति शशांक मिश्रा आइआइएमटी में लॉ टीचर हैं। शादी के बाद संगीत ने अपने सपने नहीं छोड़े, एक बहू के रूप में घर की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने तीसरे प्रयास में पीसीएस-जे की परीक्षा पास की है। सिविल जज बनने वाली संगीता ने बताया कि उनका बेटा पहली कक्षा में पढ़ने जाता है। घरवालों का पूरा सहयोग मिला, जिसकी वजह से वह सफल हुई। अपनी प्रेरणा का स्रोत बताते हुए उन्होंने कहा कि जब वह एलएलएम का वायवा दे रही थी, उसी दौरान परीक्षक सर ने उन्हें कहा था कि तैयारी अच्छी है, न्यायिक सेवा में बैठो। तभी से उसने मेहनत करनी शुरू की। आज परिणाम सामने है। उन्होंने कहा कि अगर धैर्य के साथ मेहनत करते रहे तो हर जिम्मेदारी को निभाते हुए भी सफल हो सकते हैं। संगीता डीआइजी पीटीएस महेश कुमार मिश्रा के भांजे की पत्नी हैं। उन्होंने संगीता की सफलता पर बधाई दी।
कड़े परिश्रम से हासिल हुई सफलता : चेतना
जागृति विहार सेक्टर एक की चेतना ने मेरठ कालेज से वर्ष 2010 में एलएलबी की परीक्षा पास की। नाना और मामा न्यायिक सेवा में रहे, जिसका असर चेतना पर भी पड़ा। बकौल चेतना उनकी शुरू से ही इस सेवा में जाने की इच्छा थी। पापा वीपी सिंह एसबीआई में हैं। सभी का सहयोग रहा। उन्होंने धैर्य और मेहनत के साथ अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की।
पांच बहनों में निखरी सलोनी: सलोनी
मवाना की सलोनी पांच बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर की हैं। उनके पिता यशपाल रस्तोगी बिजनेस करते हैं। परिवार में कोई न्यायिक सेवा में नहीं रहा, फिर भी सलोनी के मन में न्यायिक सेवा में जाने की इच्छा थी। वर्ष 2012 में वह इंटरव्यू तक पहुंची। मेरठ कालेज से एलएलएम किया, फिर नेट निकालने के बाद ही यह सफलता हासिल की है।
पापा के सपने को पूरा किया: सीमा
आफिसर हास्टल में अपने नायब तहसीलदार भाई व भाभी के साथ सीमा रहती हैं। उनके कृषक पिता स्वर्गीय खडक सिंह दो माह पहले कैंसर की वजह से इस दुनिया से विदा हो गए। बकौल सीमा पापा उसे जज बना देखना चाहते थे। जिसे तीसरे प्रयास में उसने पूरा किया।
ये बेटियां बेटों से आगे: सोनाली
आदर्शनगर कचहरी रोड की रहने वाली सोनाली पुनिया के पिता ओमप्रकाश पुनिया मेडिसीन का काम करते हैं। तीन बहनों में सबसे छोटी सोनाली ने कैंपस से 2013 में एलएलएम किया। स्कूल में पढ़ाई के दौरान सोनाली न्यायिक सेवा में जाना चाहती थी। बकौल सोनाली वह स्वतंत्रता व ईमानदारी के साथ काम करना चाहेगी।