हर रोज नई तरह के गम टूट रहे हैं़ ़ ़ ़
मेरठ : सैफ फाउंडेशन की ओर से बरोज इतवार हकीम सैफुद्दीन की याद में मेरठ कालेज में अंतर्राष्ट्रीय मुशा
मेरठ : सैफ फाउंडेशन की ओर से बरोज इतवार हकीम सैफुद्दीन की याद में मेरठ कालेज में अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे का आयोजन हुआ। इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल अजीम कुरैशी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को ललकारा। उन्होंने दो टूक कहा कि पहले हमने उनके स्वागत के लिए दरवाजे खोले, उसके बाद हमने तोपों के मुंह खोल दिए। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कवि और शायरों से कलम उठाने का आहवान किया। इस दौरान अजीम-ओ-शान शायरों ने कलाम पेश किए।
मेरठ कालेज में हुए मुशायरे का आगाज शमां रोशन कर हुआ। हकीम साहब के साहबजादे व पूर्व मंत्री डा. मैराजुद्दीन अहमद ने इस्तकबाल के बाद सभी शायरों का परिचय कराया। इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल अजीम कुरैशी ने कहा कि जब तक इस्लाम को मानने वाले हैं, तब तक मुल्क हिफाजत है। उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहले हमने उनके स्वागत के लिए दरवाजे खोले, लेकिन बाद में तोपों के मुंह खोले। उन्होंने महाराणा प्रताप और अकबर के संग्राम के जरिए क्रांतिधरा मेरठ को सलाम किया। कहा कि यह वही धरती है, जहां से क्रांति की ज्वाला प्रस्फुटित हुई थी। उन्होंने जंग-ए-आजादी में मुस्लिमों के योगदान पर रोशनी डाली। कहा कि हमारे भाइयों ने अंग्रेजों को देश छोड़ने को मजबूर कर दिया। उन्होंने अपील की कि या तो मुल्क के लिए जान दे दो या फिर जान ले लो , लेकिन हर सूरत में मुल्क की हिफाजत करो।
उनके खिताब के बाद शायरों ने कलाम पेश किए। मंसूर उस्मानी ने कहा कि 'हर रोज नई तरह के गम टूट रहे हैं, महसूस ये होता है कि हम टूट रहे हैं।' इसके बाद डा. एमआर कासमी ने कहा कि 'आज अपनी फालतू चीजें जुदा करता हूं मैं, है कोई ऐसा जिसे मेरी शराफत चाहिए'। अजहर इनायती ने फरमाया कि 'इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा, यह आखरी दरख्त बहुत याद आएगा।' उनके इस कलाम पर तालियों से गूंज उठा।
जैसे ही खिताब करने के लिए अलीना इसरत तशरीफ लाईं तो हर कोई सीट से उठ खड़ा हुआ। उन्होंने मखसूस अंदाज में फरमाया कि 'अभी तो प्यासी चाक पे जारी है रकस मिट्टी का, कुम्हार की भी नीयत बदल भी सकती है।' सविता असीम के मंच पर आते ही हर कोई वाह-वाह कर उठा, उन्होंने फरमाया कि 'उसकी आंखों के सायदान में हूं, कितनी महसूस इस मकान में हूं'।
आखिर में राहत इंदौरी ने फरमाया कि 'पूछते क्या हो कि रूमाल के पीछे क्या है, फिर किसी रोज तुम्हें सैलाब दिखाएंगे तुम्हें।' उनके यह कलाम पेश करते ही हॉल तालियों से गूंज उठा। देर रात तक वसीम बरेलवी और मुनव्वर राणा का आना नहीं हो पाया था। जबकि दुबई से आए फारूख साहब ने बताया कि उन्हें मेरठ आकर बहुत अच्छा लगा। वह बोले कि दोस्ती, मिलनसारी और भलाई का पैगाम लेकर आया हूं। उन्होंने खालिस उर्दू में कलाम पेश किए। अन्य कई शायरों ने भी हकीम सैफुद्दीन को अपने कलामों के जरिए याद किया। कार्यक्रम में डीएम पंकज यादव, एसएसपी ओंकार सिंह, नगर आयुक्त अब्दुल समद, चौ. यशपाल सिंह, दीपक शर्मा आदि ने शिरकत की। सलीम सिद्दीकी, नौशाद अहमद, अनस खान, बदर महमूद, संजय शर्मा का सहयोग रहा।