स्वच्छता के संकल्प से करें बापू को नमन
मेरठ : बापू स्वच्छता एवं अनुशासन को निजी जीवन में उतारने के परम आग्रही थे। बापू की जयंती पर जनता से
मेरठ : बापू स्वच्छता एवं अनुशासन को निजी जीवन में उतारने के परम आग्रही थे। बापू की जयंती पर जनता से उन्हें स्वच्छ भारत की संकल्पना से नमन करने की अपील है। जनभावना संगठित होकर प्रदूषणमुक्त भारत की राह खोज रही है। वातावरण सुगंधित होने को उत्सुक है। यह महाअभियान साफ सुथरी मनोदशा एवं सेहतमंद आबोहवा की बुनियाद रखेगा।
इतिहास से मेरठ का सनातनी नाता है। राजनीति, कला, विज्ञान एवं खेलकूद की तमाम प्रतिभाओं ने मेरठ की साख में चार चांद लगाए। किंतु दिल्ली की रफ्तारभरी जिंदगी ने आसपास के शहरों को विकास का रास्ता दिखाया तो इस दिशा में मेरठ ने आंख मूंदकर फर्राटा भर दिया। भारी भीड़, बेतरतीब कालोनियां, बजबजाते नाले, नंगे कूड़ाघरों ने शहर का चेहरा बदरंग कर दिया। जबकि इसी की तर्ज पर बसाया गया गुजरात का सूरत शहर सफाई के दम पर प्रदेश का दुलारा बन चुका है। 1993 से पहले सूरत को एशिया के सबसे गंदे शहरों में माना जाता था, किंतु प्लेग के बाद सटीक रणनीति एवं प्रभावी पहल ने शहर का तंत्रिका तंत्र सुधार दिया। अब कई प्रदेशों के सरकारी डेलीगेशन सूरत में सफाई का फार्मूला देखने पहुंचते हैं। चंडीगढ़ भी स्वच्छता के तकरीबन सभी मानकों पर मेरठ जैसे शहरों को सीख दे सकता है। अब मेरठ का वक्त है।
आइना नहीं, अब चेहरा करें साफ
मेरठ के दर्जनों इलाकों में जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। रिहाइशी इलाकों में औद्योगिक कचरा, ई-वेस्टेज, बायोमेडिकल कचरा, गाड़ियों की सफाई एवं मीट कारोबार से भारी तत्वों और जानलेवा बैक्टीरिया ने डेरा जमा लिया। प्रदूषण की वजह से जिले में डायरिया, पीलिया, डेंगू, मलेरिया, दस्त, कालरा, गैस्ट्रो एवं आंख एवं चर्म रोगों का ग्राफ यूपी में सर्वाधिक है। आज मेरठ प्रदेश के सबसे अनियंत्रित एवं प्रदूषित शहरों में शुमार होता है। नगर निगम हर बार नालों की सफाई एवं सड़क से कूड़ा उठाकर सफाई का टोटका कर जाता है, किंतु यह और भयावह साबित होता है। धूप में पड़े कचरों को आधा अधूरा उठाने पर उसके बैक्टीरिया आसपास की हवा में घुलकर आबादी में कहर ढा सकते हैं। मेरठ में एलर्जिक बीमारियां प्रदूषण की ही देन हैं।
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आज यहां से होगा श्रीगणेश
दैनिक जागरण का सफाई अभियान गुरुवार (आज) सुबह साढ़े आठ बजे से साकेत, शर्मानगर, मानसरोवर कालोनी व मिशन कंपाउंड में शुरू होगा।
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सफाई के उपहार
-घरों को साफ कर तमाम प्रकार के बैक्टीरिया संक्रमण से बच सकते हैं। विशेषकर सांस एवं ब्रांकाइटिस के मरीजों को एलर्जी से बचाया जा सकता है।
-नालों के आसपास खतरनाक गैसों के उत्सर्जन से सांस, चर्म रोग एवं पीलिया का खतरा है। नालों को ढंकने एवं साफ रखने से सेहत दुरुस्त रह सकती है।
-सड़क पर पड़ा कूड़ा पानी के संपर्क में तेजी से विघटित होता है। इसमें कई जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। साफ कर चूना छिड़कना चाहिए।
-नालियों में गोबर अटकने से भयंकर जल प्रदूषण फैलता है।
-मीट कारोबार के बाद कटे फटे अंगों की सड़न से उत्पन्न होने वाले बैक्टीरिया असाध्य बीमारी का कारण बन सकते हैं।
-नालियां दुरुस्त रखकर भूजल को शुद्ध रख सकते हैं। भूजल में रिसाव से पीलिया एवं डायरिया का खतरा होता है।