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रेबीज से ज्यादा विषाक्त शासन का 'डंक'

संतोष शुक्ल, मेरठ : दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी हाइड्रोफोबिया पर जब सरकार ऐसा रुख रखती है, तो अन्य

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 01:30 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:30 AM (IST)
रेबीज से ज्यादा विषाक्त शासन का 'डंक'

संतोष शुक्ल, मेरठ : दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी हाइड्रोफोबिया पर जब सरकार ऐसा रुख रखती है, तो अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैसे विश्वास हो? शासन के पास एंटी रेबीज इंजेक्शनों की खरीद, खपत एवं सैंपलों के मूल्यों का कोई लेखा जोखा नहीं है। सरकार रेबीज से मरने वालों लोगों के बारे में भी अनजान है। आरटीआइ से खुलासा हुआ कि आवारा पशुओं से फैलने वाले संक्रमण पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। पशुधन विभाग, नगर निगम एवं वन विभाग एक दूसरे पर दोष मढ़कर अपना पीछा छुड़ा रहे हैं।

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वैक्सीन से ज्यादा चुभन

मेरठ में आवारा कुत्तों एवं वन्य जीव सेंचुरी के आसपास गांवों में रेबीज फैलने का खतरा बना हुआ है। हर साल कई लोग हादसे का शिकार होते हैं। सरकारी आंकड़ों में ही रोजाना करीब 400 एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने की रिपोर्ट है। मेरठ के आरटीआइ कार्यकर्ता डा. संजीव अग्रवाल ने शासन से 9 जनवरी 2014 को शहरी क्षेत्रों में घूमने वाले आवारा पशुओं गाय, कुत्ता, बिल्ली, बंदर, एवं चूहों पर नियंत्रण की योजना, वर्ष 2010-13 के बीच एंटी रेबीज वैक्सीन की खरीद व खर्च के बारे में पूछा, जिसे शासन ने नहीं दिया। जबकि विजिलेंस इस वैक्सीन की खरीद में घोटाले का खुलासा कर चुका है। वादी ने रेबीज से हुई मौतों का विवरण एवं उसके बाद उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट तलब की। नगरीय क्षेत्रों में रजिस्टर्ड कांजी हाउस, गऊशाला एवं आवारा पशुओं के मालिकों से वूसली राशि पर भी जानकारी मांगी।

खतरनाक जवाब

शासन ने सबसे जानलेवा बीमारी हाइड्रोफोबिया को हल्के में लिया। स्थानीय निकाय निदेशालय ने बताया कि रेबीज से मरने वालों का शासन कोई संज्ञान नहीं लेता है। जबकि हर वर्ष दर्जनों लोग रेबीज से संक्रमित होकर जान गंवा देते हैं। मेरठ नगर निगम ने माना कि आवारा पशुओं पर नियंत्रण एवं धरपकड़ का जिम्मा उन पर है, किंतु स्थानीय नगर निकाय निदेशालय ने इसे वन विभाग पर डाल दिया। आरटीआइ से पांच माह बाद नगर निगम ने सूचना दी कि गाय, भैंस एवं डेयरी पर गंदगी फैलाने को लेकर चालान काटा जाता है, जबकि अब तक किए गए चालान एवं वसूल गई राशि का विवरण नहीं दिया। वादी ने गैर जिम्मेदाराना जवाब देने का आरोप लगाते हुए शासन को राज्य सूचना आयोग में तलब किया है।

इनका कहना है..

रेबीज सौ फीसदी जानलेवा है, जिसे फैलाने में कुत्तों के साथ-साथ बंदरों की भी बड़ी तादात शामिल है। मानव दखल एवं घटते भोजन से जीवों में काटने की प्रवृत्ति बढ़ी है। शासन को एंटी रेबीज कंपेन चलानी चाहिए।

- डा. रामलखन सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ।


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