जिनालयों में हुइ अष्टप्रकारी पूजा, श्रीसिद्ध चक्र महापूजन
मेरठ : जैन मंदिरों में शुक्रवार को श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। श्वेतांबर समुदाय के पर्यूषण पर्व के समापन अवसर पर जिनालयों में अनुष्ठान हुए। जैनाचार्याे ने श्रीजी का गुणगान कर विधान सम्पन्न कराए।
श्री जैन श्वेतांबर श्रीसंघ की ओर से पर्यूषण पर्व के आठवें दिन संवतसरी का गुणगान हुआ। अहमदाबाद से आए विधिकारक ज्येष्ठ भाई ने कहा कि कल्पसूत्र मूल प्राकृत भाषा में 12 स्रोतों का है, परंतु सुविधा हेतु आज कल इसका वाचन संस्कृत एवं हिंदी भाषा में किया गया है। कल्पसूत्र के समापन में बताया गया कि हमारी दैनिक क्रिया इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे आत्मा मोक्ष की ओर जाए। साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका को परमात्मा भक्ति आराधना करके जीवन का उत्थान करना चाहिए। यह दिन समापन दिवस के रूप में मनाना चाहिए।
ज्येष्ठ भाई ने कहा कि आत्मा में पाप का अणुबन्ध न रहे, पारस्परिक बैर न हो, सभी जीवों को क्षमा उपलब्ध करना चाहिए। अष्टप्रकारी पूजा व श्रीसिद्ध चक्र महापूजन का विधान सम्पन्न हुआ। लाभार्थी नगीन चन्द जैन, मोहित जैन, विशाल जैन, सुभाष जैन व वैभव जैन रहे। श्रीसंघ की ओर से तपस्वियों का सम्मान हुआ। मेधावी बच्चों को पारितोषिक भेंट किया गया। अशोक जैन, अरुण जैन, सुभाष जैन, मुकेश जैन व जीतेंद्र जैन आदि का सहयोग रहा। उधर, दूसरी ओर जैन नगर स्थित श्री शान्तिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर में भी समापन समारोह उल्लास से मनाया गया। मधुर भक्ति संगीत पर भगवान का गुणगान हुआ। जैनाचार्याे ने कल्पसूत्र का वाचन किया और विधान सम्पन्न कराए।