उधार की बंदूक से शूटर साध रहे निशाना
मेरठ : प्रदेश और देश का नाम रोशन करने वाले शूटर खुद सौतेलापन के शिकार हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाले उधार की बंदूक से निशाना साध रहे हैं। यह कहना है ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स की डबल ट्रैप स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले मेरठ के शूटर असब का। दैनिक जागरण कार्यालय में आए इस खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि उसने खुद अपनी पुरानी बंदूक से निशाना साधा।
मेरठ में शूटिंग के लिए पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से बहुत से खिलाड़ी दिल्ली जाकर प्रैक्टिस करते हैं। बकौल, असब कॉमनेवल्थ गेम्स में जाने से पहले उसकी बंदूक खराब हो गई थी, जिसे उसने इटली में ठीक कराया। यह बंदूक काफी पुरानी होने के बावजूद उसके लिए लकी रही है, इसलिए वह इसी से निशाना साध कर कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुआ। आगे उसका चयन वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स के लिए हुआ है, जिसका कैंप अगस्त में दिल्ली में शुरू होगा। इन स्पर्धाओं में भी वह इसी गन का इस्तेमाल करेगा।
शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने के बाद भी इस खेल को उपेक्षा का शिकार बताते हुए असब ने कहा कि प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को कोई मदद नहीं कर रही है। मेरठ में बहुत से शूटर हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते हैं, लेकिन उन्हें एक शस्त्र लाइसेंस के लिए तरसना पड़ रहा है। मेरठ में सही रेंज नहीं हैं, अगर खिलाड़ियों को पर्याप्त सुविधा मिले तो देश का नाम और रोशन कर सकते हैं।
शूटिंग से नहीं कर पाए पढ़ाई
असब के पिता फलावदा में फिश फार्मिग का काम करते हैं, असब ने अपनी शूटिंग के लिए पढ़ाई को भी बीच में छोड़ दिया था। इस साल वह प्राइवेट से स्नातक की शिक्षा पूरी करेंगे।