'बेटी के घर से निकलते ही अटक जाती हैं सांसें'
मेरठ : 'इस घटना ने मन को इस कदर झकझोर कर दिया है कि वर्किंग वूमेन होने के बाद भी बेटी के बाहर निकलने पर सांसें अटकी रहती हैं। स्वयं उसे स्कूल में छोड़ने व लेने जा रही हूं।'
घर की जाली के अंदर से निकले ये शब्द उस मां के हैं, जिनकी बेटी रोजाना स्कूल व कोचिंग के लिए घर से बाहर जाती है। जिमखाना मैदान के दूसरी ओर नगर निगम क्वार्टर में रहने वाली गीता शर्मा के साथ ही उस रास्ते पर स्थित घरों की महिलाओं के मन में यही डर घर करता जा रहा है।
जिमखाना मैदान से सटे हुए सराय खैर नगर के उस रास्ते पर एक ओर चार परिवार और दूसरी ओर निगम कर्मचारियों के छह परिवार रहते हैं। वारदात के खुलासे के बाद दैनिक जागरण की टीम हाल जानने पहुंची तो लोगों ने बेबाक होकर अपनी बात सामने रखी।
सुनी थी गोली की आवाज
चंद्रा अग्रवाल के परिवार ने साढे़ ग्यारह बजे गोली की आवाज सुनी थी। प्राथमिक तौर पर ट्यूब लाइट फटने का अंदेशा हुआ, लेकिन उसे ठीक देखकर उनके बेटे ने गोली ही चलने की पुष्टि की। उसके बाद भी रात में बाहर निकलकर जानने की हिम्मत नहीं हुई।
बदमाशों से ज्यादा डराता अंधेरा
पूर्व प्रधानाचार्या उषा गुप्ता ने बताया कि रास्ते की एक लाइट का कनेक्शन लेडीज पार्क से है, लेकिन उसे जलाया ही नहीं जाता। पूरे रास्ते पर अंधेरा रहता है। रात में इस रास्ते से निकलने में ही डर लगता है। देर रात तक असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, लेकिन उन पर कोई अंकुश नहीं है। घटना के बाद से तो दिन में भी लाइट जल रही है।
बसों की आड़ में रहते हैं नशेड़ी
तरुण कुमार गुप्ता के अनुसार, रास्ते पर 5-6 बसें खड़ी होने के बाद आधा रास्ता बंद हो जाता है। उनकी आड़ में जुआरी व नशेड़ी अपनी महफिल सजाते हैं। रातभर ट्रक लोड होते रहते हैं।
ललिता बताती हैं कि एक तो अंधेरा रास्ता, उस पर रास्तों पर खड़ी बसें डरावनी लगती हैं। हम डर से उस रास्ते से नहीं गुजरते हैं।
मर्डर रोड के नाम से हुई कुख्यात
नेहा के कत्ल के बाद जिमखाना वाली रोड पर रहने वाले लोगों के जहन में खौफ हद दर्जे का तारी हो गया है। घर की ओर जाने वाला जो रास्ता कुछ दिनों पहले तक अपना सा लगता था, जहां से बच्चे खेलते हुए घर पहुंचते थे, उस रास्ते को अब इलाके में मर्डर वाला रास्ता यानी मर्डर रोड कहा जाने लगा है।