रबर ऑयल फैक्ट्री में भीषण आग
मेरठ : धीरखेड़ा स्थित उद्योगनगर में श्याम उद्योग ऑयल फैक्ट्री में शनिवार दोपहर संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई, जिसमें लाखों रुपये का रबर ऑयल व अन्य सामान जल गया। फायर ब्रिगेड की चार गाडि़यों ने तीन घंटे में आग पर काबू पाया। उधर, प्रदूषण की मार के चलते व गेहूं की फसल आग की चपेट में आने की आशंका पर आक्रोशित ग्रामीणों ने फैक्ट्री को अवैध बताते हुए हंगामा किया।
पुलिस के अनुसार हापुड़ निवासी पवन गोयल व नंदकिशोर गोयल समेत दो अन्य पार्टनर की धीरखेड़ा स्थित उद्योगनगर में श्याम उद्योग ऑयल के नाम से फैक्ट्री है। इसमें पुराने टायरों से रबर ऑयल निकालकर इसे स्टील फैक्ट्री समेत ईंट-भट्ठों आदि पर सप्लाई किया जाता है। शनिवार दोपहर बॉयलर के पास रखे ज्वलनशील रबर ऑयल के सैकड़ों ड्रम में आग लग गई। मजदूरों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन आग और भड़क गई। सूचना पर हापुड़ से फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी व परतापुर, मेरठ से तीन गाड़ी पहुंची और तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ग्रामीण अशोक त्यागी, परमाल कसाना, मुनेंद्र कसाना आदि भी मौके पर पहुंच गए। पास ही गेहूं की फसल में आग लगने की आशंका जताते हुए उन्होंने हंगामा किया और फैक्ट्री को अवैध बताकर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि टायर आदि के जलने से प्रदूषण के कारण भी वे परेशान हैं।
एसओ रनवीर सिंह यादव ने बताया कि आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है लेकिन संचालक मौके पर नहीं मिले। आशंका है कि फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही है। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है।
फायर ब्रिगेड से नहीं ली गई एनओसी
परतापुर फायर स्टेशन के इंस्पेक्टर संतोष राय व रामकिशोर यादव ने बताया कि उक्त फैक्ट्री के लिए विभाग से कोई एनओसी नहीं ली गई है। ऑयल फैक्ट्री अवैध रूप से काफी समय से चल रही थी। उन्होंने संचालकों के खिलाफ नोटिस जारी करने की बात भी कही।
धंधा कबाड़ का, मुनाफा लाखों का
कबाड़ के भाव खरीदे गए टायरों से रबर ऑयल, लोहे का वायर व राख निकलती है। यह ऑयल 50 से 100 रुपये प्रति लीटर की दर से सप्लाई होता है। इसकी बाजार में भारी मांग है। इस राख से काला रंग बनाया जाता है।
प्लास्टिक व बल्ब फैक्ट्री में हड़कंप
आग के विकराल रूप से पास ही स्थित प्लास्टिक व बल्ब और गत्ता फैक्ट्री में भी हड़कंप मच गया। आग लगने की आशंका के चलते सामान हटाना शुरू कर दिया। आग पर जल्द काबू पा लिया गया, जिससे यह फैक्ट्रियां बच गई।
कुछ ही माह में बदले फैक्ट्री के कई मालिक
फैक्ट्री कुछ ही माह में कई बार बिक चुकी है। पहले इसके मालिक दिल्ली निवासी विशाल गोयल थे। इसके बाद हापुड़ के भी कई व्यापारियों ने इसे बेचा। बताते हैं कि जमीन का मालिक कोई है और ठेके पर कोई और संचालन करता है।