लीज की जमीन पर कैसे पास हुआ कालोनी का नक्शा
मेरठ: कमिश्नर मनजीत सिंह व डीएम नवदीप रिणवा ने एमडीए से पूछा है कि राजस्व ग्राम मुकर्रमपुर पल्हेड़ा स्थित अक्षरधाम कालोनी को नगर निगम से लीज पर मिली 1570 वर्ग मीटर जमीन पर मानचित्र कैसे स्वीकृत कर दिया? नगर आयुक्त से पूछा है कि उनके कार्यालय ने कैसे निजी बिल्डर को जमीन लीज पर दी? एसएसपी से कहा है कि जब इस बाबत दौराला थाने में मुकदमा दर्ज है तो क्यों अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नही हुई?
दरअसल, मामले में शिकायतकर्ता भंवर सिंह पुंडीर ने कमिश्नर व डीएम को पत्र देकर कहा है कि मामले में दौराला थाने में एसडीएम सरधना की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज हो गया है पर उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। एसडीएम सरधना की ओर से 15 फरवरी, 2014 को डीएम को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट है कि मुकर्रमपुर पल्हेड़ा में खसरा नंबर 106 पर रकबा 630 वर्ग मीटर, खसरा नंबर 107/1 रकबा 380 वर्ग मीटर, खसरा नंबर 107/2 पर 250 वर्ग मीटर व खसरा नंबर 310 वर्ग मीटर यानी कुल 1570 वर्ग मीटर अपनी जमीन नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त ने एक दिसंबर, 2007 को इंद्र कुमार गर्ग व कृष्ण गोपाल आदि पार्टनर देवा एसोसिएट, मेरठ के हक में लीज डीड की गई। 127-109 खसरा, जो रास्ते में नलकूप गूल के नाम अभिलेखों में दर्ज है, जिनका क्षेत्रफल 669 वर्ग मीटर है, इस पर अक्षरधाम कालोनी संचालकों का कब्जा है। खसरा संख्या 113 रकबा 256 वर्ग मीटर व खसरा नंबर 117 पर 200 वर्ग मीटर जमीन अप्पू एन्क्लेव के अंतर्गत है। ऐसे में मामले में अक्षरधाम के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो गया पर अन्य आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई है।
कमिश्नर ने मामले में एडीएम प्रशासन, नगर आयुक्त व एमडीए उपाध्यक्ष से निर्धारित बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब की है। डीएम ने एडीएम प्रशासन को मामले की जांच सौंपी है। एडीएम प्रशासन दीपचंद ने बताया कि नियमानुसार नगर निगम की जमीन लीज पर नही दी जा सकती है। जमीन लीज पर कैसे दी गई? लीज की जमीन को शामिल करते हुए अक्षरधाम कालोनी का मानचित्र प्राधिकरण में कैसे पास हो गया? इन सभी बिन्दुओं पर संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी गयी है। एसडीएम सरधना से पूछा गया है कि आखिर उनकी जांच में चिह्नित अक्षरधाम समेत अन्य कालोनियों के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज क्यों नही कराया गया? एसडीएम मनीष वर्मा का कहना है कि अभी दो बिल्डरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, और लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होगा। अक्षरधाम वाले मामले में पुलिस को विवेचना के दौरान अधिकार है कि वह अन्य आरोपियों के नाम बढ़ा सकती है।
बहरहाल, दौराला थाने में मुकदमा दर्ज हुए चार दिन बीत गए है पर अभी तक पुलिस ने कार्रवाई नही की है। दौराला इंस्पेक्टर जनक सिंह पुंडीर ने कहाकि बिना कार्रवाई कैसे करें?
अक्षरधाम कालोनी के संचालक विकास जैन का कहना है कि उन्होंने नगर निगम से जमीन नियमानुसार लीज पर ली है, जमीन पर निर्माण नहीं हुआ है, अन्य सरकारी जमीन भी रिक्त पड़ी है। ऐसे में उन्होंने या उनके पार्टनर ने कानून का उल्लंघन नहीं किया है।