नौसिखियों को भी नहीं पकड़ पा रही बेबस पुलिस
मेरठ : राहुल की उम्र 20 वर्ष है, छोटा भाई मोनू उर्फ मयंक 18 साल का है। अब से पहले दोनों का कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं है, न ही गंभीर अपराध से उनका कोई नाता रहा। छह दिन पहले डाक्टर इंद्रेश की हत्या में नामजद होने के बाद से दोनों फरार हैं। पुलिस उन्हें पकड़ना तो दूर उनकी लोकेशन तक नहीं तलाश पाई, जबकि दोनों ने अदालत में सरेंडर के लिए अर्जी डाली है। सवाल उठता है कि ऐसे अपराधियों को भी पुलिस नहीं पकड़ पा रही है तो पेशेवर अपराधियों को क्या खाक पकड़ेगी?
गंगानगर के एम ब्लाक में डाक्टर इंद्रेश पराशर की हत्या कर दी गई थी। बेटी से छेड़छाड़ का विरोध करने पर यह सनसनीखेज कत्ल हुआ था। छेड़छाड़ के आरोपी युवक नीशू, उसके पिता अश्वनी ओर भाई राहुल और मोनू उर्फ मयंक को नामजद किया। पुलिस ने नीशू और अश्वनी को गिरफ्तार कर लिया। राहुल और मयंक पुलिस की पकड़ से दूर है। गंगानगर व इंचौली पुलिस उक्त दोनों आरोपियों को वारदात के छह दिन बाद भी गिरफ्तार करने में नाकाम साबित हो रही है। पुलिस की इसी कार्रवाई पर बड़ा सवाल उठ रहा है। दरअसल, जिन्हें पुलिस को पकड़ना है, वह कोई पेशेवर अपराधी नहीं है, उससे पहले उनका कोई क्रिमिनल रिकार्ड भी नहीं रहा है। हालांकि उनकी दबंगई प्रवृति से मोहल्ले के लोग परेशान आ चुके थे। अब तो जनता भी पूछने लगी है कि क्या राहुल और मोनू उर्फ मयंक को जमीन निगल गई या आसमां, जब ऐसे युवकों को पकड़ने में पुलिस गच्चा खा रही है तो शातिर अपराधियों के आगे तो 'सरेंडर' ही कर देगी। एसओ हंसराज भदौरिया का दावा है कि दोनों युवकों के परिजनों पर काफी दबाव बनाया जा चुका है। उनकी लास्ट लोकेशन गाजियाबाद में मौसी के घर मिली है, वहां पर पुलिस की टीम गई हुई है।
जब कप्तान को चार किमी जाने में पांच दिन लगे तो..
मेरठ : नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत किसी ने बहुत सोच समझकर ही लिखी होगी। बस ऐसा ही हाल मेरठ की पुलिस का है। गंगानगर में बेटी से छेड़छाड़ का विरोध करने पर पिता-पुत्रों ने डाक्टर को मौत के घाट उतार दिया। मौके पर जुटे लोगों ने कुछ ही दूरी पर स्थित गंगानगर चौकी पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस को मौके पर पहुंचने में 'लंबा समय' लग गया। पुलिस तो पुलिस जिले के 'मुखिया' को गंगानगर पहुंचने में पांच दिन लग गए, जबकि पुलिस कप्तान के आवास व कार्यालय से गंगानगर में डाक्टर इंद्रेश के घर की दूरी चार किलोमीटर से अधिक नहीं होगी। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी सुरक्षा का दंभ भरने वाली पुलिस किस 'गति' से काम कर रही है। अब पुलिस दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करती है या वे पुलिस को चकमा देकर समर्पण कर देते हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। शायद पुलिस की यही 'मंदगति' बदमाशों के हौसलों को रफ्तार दे रही है।