दीवारें भी नहीं सुन पाई आहट
मेरठ : कहावत है दीवारों के भी कान होते हैं, पर रात के अंधेरे में युवती के कत्ल की आहट तो दीवारें भी नहीं सुन पाई। आसपास में रहने वाले परिवार और दुकानदार तक नहीं बता पा रहे हैं कि यहां गोली चली? यहां से गुजरने वाली किसी गाड़ी से भी अनजान बने हुए हैं। उनका कहना है कि पुलिस के आने के बाद ही हमें पता चला कि किसी युवती को जिमखाना मैदान के बाहर गोली मार दी गई है।
जिमखाना मैदान के पास रहने वाले विमल कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि देर रात पुलिस की भीड़ जमा होने के बाद ही पता चला था कि किसी ने युवती को गोली मार दी, लेकिन इस बात को लेकर सभी अचरज में थे कि गोली चलने की आवाज सुनाई क्यों नहीं दी? इतना ही नहीं गाड़ी की आवाज तक नहीं सुनाई दी। इसी तरह से वहां पर चौकीदारी करने वाले पवन कुमार ने भी गोली चलने की आवाज से अनभिज्ञता जताई। उसने बताया कि पुलिस के पहुंचने पर ही हमें मामले की जानकारी मिली। बाद में तो रातभर इसकी चर्चा चलती रही। बच्चा पार्क के समीप पुलिस पिकेट ने सबसे पहले वहां से गुजरते समय युवती को खून से लथपथ देखा था। एसएसआइ प्रभाकर केंतुरा की मानें तो जब वह पहुंचे तो युवती की नब्ज चल रही थी। यानी उसी समय युवती की हत्या की गई थी।
अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर दहशत में अभिभावक
मेरठ : महानगर के बीच में युवती का कत्ल, खुद ही पुलिस के लिए बड़ी शर्म की बात है। इससे चार दिन पहले छेड़छाड़ का विरोध करने पर गंगानगर में डाक्टर पिता का कत्ल कर दिया गया। दोनों ही वारदातों ने पुलिस की किरकिरी करा दी। तब भी पुलिसकर्मी नहीं जागे। युवती के कत्ल की खबर सुनकर शहर के अभिभावक भी बेटियों की सुरक्षा को लेकर दहशत में आ गए। हाल यह हो गया है कि बेटी के घर से निकलकर वापिस लौटने तक मां-बाप की आंखे दरवाजे पर लगी रहती हैं।
किसी नतीजे पर नहीं पहुंची पुलिस
मेरठ : चौबीस घंटे हो गए युवती के कत्ल को, पुलिस ने शव को मोर्चरी में 72 घंटे के लिए पहचान कराने को रख दिया। इसके बाद राह तक रही है कि कोई खुद ही आए और पहचान कर ले। इंस्पेक्टर से लेकर सीओ तक का तर्क है कि पहचान होने के बाद खुद-ब-खुद पुलिस कातिल तक पहुंच जाएगी।