अलग-अलग कमरों में सोए पति-पत्नी ने फांसी लगाकर दी जान
मऊ के सरवां गांव में सुबह दो शादियों के बाद भी संतान न होने का गम व आए दिन दूसरी पत्नी से होने वाली किचकिच ने एक परिवार को तबाह कर दिया।
मऊ (जेएनएन)। सरायलखंसी थाना क्षेत्र के सरवां गांव में मंगलवार की सुबह कोहराम मचा रहा। दो शादियों के बाद भी संतान न होने का गम व आए दिन दूसरी पत्नी से होने वाली किचकिच ने एक परिवार को तबाह कर दिया। सोमवार की रात आपसी कहासुनी के बाद अलग-अलग कमरों में सोए सरवां के मौजा बारी निवासी 30 वर्षीय प्रमोद पासवान व पत्नी 27 वर्षीय सरोज उर्फ ज्ञानमती ने अपने-अपने कमरों में फांसी लगाकर इहलीला समाप्त कर ली। परिजनों का शोर सुन ग्रामीणों ने दरवाजा तोड़कर पुलिस को बुलाया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
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इस घटना से जहां पूरा गांव सन्न है वहीं परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। तीन दिन पूर्व प्रमोद अपनी पत्नी को लेकर ससुराल गया हुआ था। वह रविवार को पत्नी को लेकर घर लौटा था। आए दिन संतान न होने को लेकर पति-पत्नी में कहासुनी होती रहती थी। सोमवार की रात में भी दंपती के बीच कहासुनी हुई थी। दोनों खाना खाकर अलग-अलग कमरों में सोने चले गए थे। सुबह जब साढ़े आठ बजे तक जब दोनों कमरों का दरवाजा नहीं खुला तो परिजन परेशान हो उठे। प्रमोद की मां बुधिया देवी ने काफी देर तक दरवाजे को खुलवाया। जब दरवाजा नहीं खुला तो मां ने शोर मचाया। शोर सुनकर मौके पर परिजन सहित ग्रामीण भी जुट गए। ग्रामीणों ने किसी तरह से दरवाजे को तोड़ा तो अंदर का द्रश्य देखकर दंग रह गए। अंदर छत की हुक पर रस्सी के सहारे लटक कर दोनों ने अपनी इहलीला समाप्त कर ली थी। यह देख परिजन दहाड़ें मारकर रोने लगे। इसकी सूचना स्थानीय थानाक्षेत्र पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों का लटकता शव उतरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
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10 वर्ष में हो चुकी थीं दो शादियां
सरवां गांव के बारी पुरवा निवासी प्रमोद पासवान की दो शादियां हुई थी। पहली पत्नी के तीन वर्ष तक साथ रहने के बाद जब संतान नहीं हुई तो पत्नी प्रमोद को छोड़कर कहीं चली गई। इसके बाद प्रमोद की दूसरी शादी गाजीपुर जनपद में हुई। लगभग पांच वर्ष साथ रहने के बाद भी जब संतानोत्पत्ति नहीं हुई तो सरोज उदास रहने लगी। इसी मुद्दे को लेकर दोनों के बीच हमेशा विवाद भी होता रहता था।
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मां बेसुध, भविष्य की चिंता
बुधिया देवी के पांच बेटों में वह सबसे छोटे बेटे प्रमोद के साथ रहती थी। प्रमोद दैनिक मजदूरी कर मां व पत्नी का पेट पालता था। उसके सभी चारों भाई अलग-अलग रहते हैं। मंगलवार को बेटे व बहू के मौत को गले लगा लेने के बाद बुधिया देवी को मानो लकवा मार गया हो। वह बेसुध सी हो चली है। अब उसको चिंता सता रही है कि आगे की उसकी जिंदगी किसके सहारे कटेगी।