विपरीत परिस्थितियों में अनुकूलता पैदा करना ही रामत्व
बोझी (मऊ) : जिसके जीवन में राम नहीं हैं उसका जीवन मरुभूमि के समान है। विपरीत परिस्थितियों में अनुकूलता पैदा कर देना ही राम का रामत्व है। कोई भी व्यक्ति कितना भी धनवान, बलवान, विद्वान, रूपवान क्यों न हो उसका जीवन उत्तम चरित्रों में नहीं है तो वह कत्तई पूज्यनीय नही हैं। क्योंकि पूजा चरण की नहीं आचरण की होती है। उक्त बातें मां कोयल मर्याद भवानी मंदिर पर चल रही रामचरित मानस कथा के अंतिम दिन शनिवार की रात्रि मानस मर्मज्ञ रितेश राय ने कही।
उन्होंने कहा कि रावण में उक्त सभी गुण विद्यमान थे परन्तु वह पूज्यनीय नहीं बन सका। समर्थ विद्वान महा तपस्वी महात्यागी पुरुष इतिहास की धारा बदल सकते हैं। परिस्थितियां तथा अवसर के प्रभाव में बह जाना वैसे ही है जैसे शव का नदी के प्रवाह में बह जाना। साहसी महापुरुष प्रवाह को चीर कर बाहर निकलते हैं और प्रवाह को ऐसे बदल देते हैं जैसे नदी की धारा में पड़ा व्यक्ति धारा को काटकर बाहर निकलता है। इसी क्रम में मानस वक्ता शैली कुमारी पाण्डेय व राम मनोहर रामायणी ने भी रामकथा सुनाई। अंत में रामचरित मानस की आरती कर प्रसाद वितरित हुआ। इस अवसर पर दयानन्द शुक्ल, हेमचंद राय, राम सागर मौर्य, प्रधान बाल गोविन्द, योगेन्द्र, मनोज, नन्हें, राम रतन राय, रामशीष राय आदि उपस्थित रहे।
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